Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashakdashang Sutra
Author(s): Ghisulal Pitaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
View full book text
________________
• श्री मायांग सूत्र-१
विधाद का विषम होने के कारण इस विषय में प्रति तथा पाठों का खुलासा मीचे निरी अनुमार है
[क] अन्न उत्थियपरिगाह्याणि ' यह पाठ बिलोयिका इण्डिया, कलकत्ता द्वारा सन् १. में प्रकाशित अंग्रेजी अनुवाद सहित उपासवादशांग मूत्र में है। इसका अनुसाद और संगोपन सोफ्टर ए. एफ. सहरफ हार्गले पी. एच. डी. ट्यूप्रिजन फेसो माफ कलकत्ता युनिवगिटो, आनरेरी फाइलोलोजिकाल से केंट्री द दो एसिमाटिक सोसाइटी बाफ बंगास ने किया है। उन्होंने टिप्पणी में पांच प्रतियों का उल्लेख किया है, जिनका नाम A. B.C. D. और E. रखा है। A. B. और D. में (1) पाठ है। C. और E. में (ग)
हार्नम माहेन ने 'चेश्याई' और 'मरिहंतड्याई' दोनों.प्रकार के पाठ सो प्रक्षित माना है । उनका कहना हैवयाणि ' और 'परिमाहिपाणि ' पयों में मूषकार ने द्वितीया के बहुवचन में 'णि' प्रस्गय लगाया है। 'वेश्याई' में 'ई' होने से मालूम पड़ता है कि पह शन्द बाद में किसी दूसरे का दाना हुआ है । हार्नले साहेब ने पांचों प्रतिप का परिचय इस प्रकार दिया है।
(A) यह प्रसि इणिया माफिम माजरी कमाने में है 1 इसमें ४० पन्ने हैं, प्रध्येयः पन्ले में १. पंक्तियां और प्रत्येक पंक्ति में ३८ अक्षर हैं। इस पर सम्बत् १५६४, सावन सुदी १४ का समय दिया हुआ है । प्रति प्रायः शुद्ध है।
(B) यह दिल माहित नाही ? ने • नीकानेर महाराजा के महार में किसी हुई पुरानी प्रति की पहचान है। यह नमन मोमाइटी ने गवर्नमेंट आफ इण्डिया के बीच में पड़ने पर को थी। सोसाइटी जिस कति की मकल करना चाहती थो, भारत सरकार द्वारा प्रकाशित बीकानेर मण्डार की मूधी में बम का १५.३ नम्बर है । गूची में उममा समय ११९७ तथा उसके मात्र उपासकदपार विमरण नाम की टीका का होना भी बनाया गया है। सोसाइटी की प्रति पर फागुग मुनी गुरुवार सं. ११४ दिया हुआ है। इसमें कोई टीका भी बड़े हैं 1 सेवस गुजराती रस्ता अर्थ है । उस प्रति का प्रथम और अंतिम पत्र बीच नो पुस्तक के गाच मेल नहीं खाता है। अंतिम पृष्ठ टोमा वारी प्रति का है। सूची में दिया गया विवरष्य इन पृष्ठों से मिलता है। इससे मालूम पड़ता है कि भोमाइटो के लिये किसी दूसरी प्रसि की नकस हुई। । १११७ सम्रन उस प्रति के लिखने का नहीं किन्तु टीका के बनाने का मासूम पड़ता है । यह मति बहुत सुन्दर सिधी हुई है। इसमें । पन्ने है । प्रत्येक पन्ने में छः पातयों और प्रत्येक पंक्ति में २८ बसर है। साप में टम्बा है।
(C) यह प्रति कसकने में एक यती के पास है । इसमें पन्ने हैं । मम पाठ बीच में मिया हम्मा है और संस्कृत रीका कार तथा नीधे । इस सम्वर १९१६ फागुन मुदी ४ दिया हुआ है । यह प्रति शुभ और किसी विद्वान बारा लिसी ईमाम पड़ती है, अन्त में बताया गया है कि इसमें १२ लोक मल के और रीमा के
(D) यह भी उन्ही ताजी के पार है। इसमें ३३ पले है। पंक्ति और ४८ मतर है। इस पर मिगमर बदी १, शुक्रवार सम्वत् १७४५ दिया हुआ है। इसमें टन्ना है । यह श्री मा नगर में लिखी गई है।
(E), प्रसि मुशिधाबाद काले राय पना तिमिहणी द्वारा प्रकाशित है।
इनके सिवाय मी अनुप मरमृत घाबरी बीकानेर (बीकानेर का प्राचीन पुतक भवार को शि पुराने किले में है ) में उपासकदरतांग की दो प्रतियां हैं। उन दोनों में 'अनस्थिपरिग्गहियामि चोमाई' पाठ पुस्तकों का परिषय F. और G.के नाम ये भी दिया जाता है।