Book Title: Abhidharmkoshkarika
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Jambuvijay

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Page 8
________________ --------- विज्ञानं दृश्यते-कम-न किलान्तरितं यता ----- उभाभ्यामपि चमुभ्यां पश्यति व्यक्तदर्शनात्। चक्षुः श्रोत्र मनोऽ प्राप्तविषयं त्रयमन्यथा // 3 // त्रिभिर्घाणादिभिस्तुल्यविषयं ग्रहणं मतम्) . चरमस्याश्रयोऽतीतः पञ्चानां सहजच ते: // 14 // तविकार विकारित्वादलयाश्चरादयः। अतोऽ साधारण त्यान्न वित्तानं तैर्निरुच्यते // 45 // न कायस्या धरं च सर्व रुपं न चमः। विज्ञानं चास्य रूपं तु कायस्योभे च सर्वतः // 6 // तपा श्रोत्रं त्रयाणां तु सर्वमेव स्वभूमिकम् / कायवितानमधर स्चभूम्यनियतं मनः / / 4 / / पञ्च बाया विविज्ञया नित्या धर्मा असं स्कताः। धर्माधमिन्द्रियं ये च द्वादशाध्यामिकाः स्मृताः // 48 // गो नाम प्रथमं कोष स्थानम् // श.....P.

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