Book Title: Abhidharmkoshkarika
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Jambuvijay
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________________ 4 / 116- 123. न वर्णादि सम्पदा वस्तु सुरूपत्वं यशस्विता। .... -- प्रियता सुकुमार सुखस्पर्शाता ततः॥११६॥ गतिदुः खोपकारित्वगुणैः क्षेत्रं विशिष्यते / "अयं मुक्तस्य मुक्ताय बोधिसत्त्वस्य चाष्टमम् // 11 // मातापितम्लानधार्मकधिकम्योऽन्त्यजन्मने / बोधिसत्वाय चामेया : अनार्येभ्योऽपि दक्षिणा।।११। पृष्ठं क्षेत्रमधिष्ठानं प्रयोगश्चेतनाशयः। एमां मृदधिमात्रत्वात् कर्ममृद्दधिमात्रता // 11 // संचेतन समाधिभ्यां निःकोकृत्यविपक्षत:। [परिवारविपाकाच कोपचितमुच्यते॥१०॥ चैत्ये त्यागान्धयं पुण्यं मैन्यादिवद्गृहति / कुक्षेत्रेऽपीएफलता फलाबीजविपर्ययात् // 121 // रूपा। दो शील्यमाभं रूपं) शीलं तद्विरतिधा प्रतिक्षिप्तान बुद्धेन विशुद्धं तु चतुर्गुणम् // 12 // * दौः शील्यं दौः शील्यैतत्वहतं तद्विपक्ष समाश्रितम् समाहितं तु कुशलं भावना चित्तवासनात् / / 13 // Ly.p ___ Ms..
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