Book Title: Abhidharmkoshkarika
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Jambuvijay

View full book text
Previous | Next

Page 83
________________ मस्पष्ट कराधित स्पष्ट हेतु समुत्पयते यदाधिशीर्यते कहाविद प्रणा वस्थान स्यादिति मदन्तवभिन्नः / / स्पृशान्ति त्य ( समाप्तोऽयं असुबन्धुभाष्यांश:)) अयं ताबछास्ता जगनिविजिदिरात: क्षीणविमति तिस्तब्चे पर विभवजन से जान कर गुणारण्ये गण्ये चरति भवभीमा विगतः स सेबुसो बोधो / भवराम सुखे साम्यमगमत् / / 1 / / (sunita HuaTRA 4 Bal) (अभिधर्मकोशकारिका)

Loading...

Page Navigation
1 ... 81 82 83 84