Book Title: Abhidharmkoshkarika
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Jambuvijay

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Page 66
________________ rl... -- विमुच्यते जायमानमशैक्षं चित्तमावृतेः। -- निरुध्यभानो मार्गस्तु प्रजहाति तदावृतिम् // 78 // असंस्कृतैव धात्वाख्या विरोधो रागसंसय:/ प्रहाण[धातुरन्येषां निरोध इति वस्तुनः]॥७९॥ निर्षियने दुःखहेत् शान्ति ज्ञानैर्विरज्यते / | सधै हाति यैरेवं चतुष्कोटिकसम्भवः // 8 // मार्ग प्रहाणा निर्देशो नाम षष्ठं कोशस्थानम्

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