Book Title: Abhidharmkoshkarika
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Jambuvijay
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________________ 9 / 9-13. // श्री जैनेन्दं शासनं विजयतेतमाम यद् गुरू यच्चासन्नं यच्चाभ्यस्तं कृतं च यत् पूर्वम् / पूर्व पूर्व ] पूर्व विपच्यते कर्म संसारे // 9 // , कर्म तद्भावना तस्या वृत्तिलाभं तत: फलम् / नियमेन प्रजानाति बुद्धायन्यो न सर्वथा // 10 // इत्येतां सुविहित हेतुमार्ग शुद्धा [बुद्धानां प्रवचनधर्मातां निशम्य : अन्धानां विविधकुदृष्टिचेपितानां तीर्घामां मतमपविध्य] यान्त्य नन्धाः / / इमां हि निर्वाण पुरकवर्तिनी तथागतादित्यवचोंऽशुभा [स्वतीम् / / [मि]रात्मतामार्यसहसवाहितां न मन्दचर्विवृतामपीक्षते // 12 // इति दिङ्मात्रमेवेदम्पदिष्टं सुमेधसाम् / .. वणदेशो विष्णस्येव स्वसामिार्य विसर्पिणः // 13 // पुल निर्देशो नाम नवमं को हास्थानम् / / // अभिधर्मकोशकारिका समाप्ता कृतिर्वसुबन्धु पादानामा कोशस्थान कारिका पुण्यपत्तनहपुना) नगर '1 धातुनिर्देश / & फर्ग्युसनमहाविद्यालये (कॉलेज) -2 इन्द्रिय // प्राध्यापक पदमलेकुवाणे विधनाथ३ लोक // ME शास्त्रितनुजन्मभिमहामतिश वासुदेव / 4 कर्म // 127. | गोस्वले ) शास्त्रिमहोदयैः सम्पादितम् / 5 अनुशय॥ रेवच समर्पितमअभिधर्मकोकारिका ग्रन्थमवलम्ब्य कनेयं प्रतिलिपिः। 8 समापत्ति / 56 - आचार्यदेवशमविजयसिधिसूरीश्वरप्र. शिष्यमुनिराजश्री भुवनविजयपुत्रान्तेवासि 9 पुरल निदेश 7 6 मार्गप्रहाण 7 तान // ना मुनिजम्माधिजेधेन सं.२००४ज्येष्ठका
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