Book Title: Abhidharmkoshkarika
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Jambuvijay
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________________ प्रयोगास समापत्तिविमुक्त्यमयत: क्रिया कृताः। - पुद्गला: सप्त षड्वैते एवं भार्गत्रये द्विशः // 6 // निगाधला युभयतो विमुक्तः प्रतयेतरः। समापत्तीन्ट्रिय फलैः शैझस्य परिपूर्णता // 65 // दाभ्यामोक्षस्य चतुर्विधो मार्गः समासतः। प्रयोगानन्तर्यविमुक्तिविशेषपथा ह्वयः॥६६॥ ध्यानेषु मार्ग प्रतिपत् सुखा दुःखा ऽन्यभूमिषु / धन्धाभिता मन्दबुद्धेः क्षिप्राभितेतरस्य तु // 6 // अयानुत्पादयोर्तानं बोधिस्तदानुलोम्यतः / सप्तत्रिंशत् तु तत्पशा नामतो द्रव्यतो दश // 6 // श्रद्धा वीर्य स्मृतिः प्रत्ता समाधिः प्रीत्युपेसगे / प्रसब्धिशीलसेकल्पा: प्रज्ञा हि स्मृत्युपस्थितिः॥६९॥ वीर्य सभ्यपहाणाख्यम् ऋद्धिपाया: समाधयः। प्रधानग्रहणं सर्वे गुणाः प्रायोगिकास्तु ते // 7 // 1 यभाविता: -.4.2 | 2 द्विकम् - L.V.PI उसविशेषविमुझ्यानन्तर्यप्रयोगसाट्वया - L.V.P. | + स्तछ दानुलोभ्यतः -L.V.PI
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