Book Title: Abhidharmkoshkarika
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Jambuvijay
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________________ 5 / 40-40 अणोऽनुगतायैते विधा चाध्यन्शेरते। अनुबन्ति यस्माच्च तस्मादनुशया मता // 90 आसयन्न्याश्रवन्त्येते हरन्ति श्लेषयन्त्यथ। .. उपगृहात हन्ति चेत्यषामा सवादिनिरुक्तयः॥४१॥ संयोजनादिभेदेन पुनस्ते पञ्चधोदिताः। द्रव्यामर्शनसामान्यात् दृष्टी संयोजनान्तरम् // 11 // एकान्ताकुशालं यस्मात् स्वतन्त्रं चोभयं यतः। ईर्ध्यामात्सर्य पूक्तं पृथक संयोजनद्वयम् // 41 // पञ्चधाबरभागीय वाभ्यां कामानतिक्रमः। त्रिभिस्तु पुनरावृत्तिर्मुखमूलगृहात त्रयम् // 44 // आगन्तका मना मार्ग विभ्रमो मार्गसंशयः। इत्यन्तराया मोक्षस्य गमनेऽतस्त्रिदेशना // 4 // पञ्चधैवोर्द्ध (-)भागीयं द्वौ रागौ रुप्यरु पिजी) औद्धत्यमानभोहाच विद्दशाद् बन्धनत्रयम् // 16 // येऽप्यन्ये चैतसाः किष्टाः संस्कार स्वाधसेक्षिताः। कुशेभ्यस्तेऽप्युपकेशास्ने तु न केश संशिताः॥४॥
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