Book Title: Abhidharmkoshkarika
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Jambuvijay
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________________ 6 / 25-32. - 'आबोधो सर्वमेकत्र ध्यानेऽन्त्ये शान्त खड्योः। प्राक तेभ्यो मोझभागीय भिग्रं मोअस्त्रिभिर्भवैः॥ 25 // 'श्रुतचिन्तामयं त्रीणि कर्माण्यामिप्यते त्रिषु। लौकिकेभ्यो ऽधर्मेभ्यो धर्मआन्तिरनासवा // 26 // कामदुःखे नतोऽत्रैव धर्मतानं तथा पुनः। 'शेषे यूखेऽन्चयान्तिनाने सत्यत्रये तथा॥२७॥ इति षोडशचित्तोऽयं सत्याभिसमयस्त्रिधा। दर्शनालयकार्याख्यः सोऽाधमक भूमिकः // 28 // आन्ति तानान्यनन्तर्य मुक्ति मार्गा यथाक्रमम् / अदृष्टे दृष्टे यावर्गस्तत्र पञ्चदश क्षणाः // 29 // मृदुतीन्द्रियौ तेषु श्रद्धा धर्मानुसारिणौ। अहीनभावनाहेयो फलायप्रतिपन्नकौ // 3 // यावत् पञ्च प्रकारजौ द्वितीयेऽर्वाग नवक्षयात्। का मावि रक्ताद् (र्व) या तृतीयप्रति पन्तको॥३१॥ षोडशे तु फलस्थो नौ यत्र यः प्रतिपन्नकः। श्रद्धाधिमुक्त दृष्टाप्ती मृदुतीक्ष्णेन्द्रियो तदम्॥३२॥
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