Book Title: Abhidharmkoshkarika
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Jambuvijay
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________________ 1 . 6 / 9-16. तत्रावतारोऽशुभया चानापानस्मृतेन च। - 1-शरवला| अधिरागवितर्कागां सदाला सर्वशगिणाम् // 9 // L.v.P. आसमदास्थिविस्तारसंक्षेपादादिकर्मिकः। पादास्त आकपालार्धत्यागात् कृतजयः स्मृतः॥१०॥ अतिक्रान्तमनस्कारो मूमध्ये चित्त धारणात् / अलोभो दशभूः कामा दृश्या लम्बा नृजाशुभा // 9 // आनापान स्मतिः प्रता पञ्चभूर्वायुगोचरा) कामाश्रया न बाद्यानां पद्धिधा गणनादिभिः॥१२॥ गणनानुगम: स्थानं लसणाऽयं विवर्तना| परिशनिश्च प्रोटेयमानापान स्मृतिर्मता // 13 // आनापानो यतः काय: सत्त्वाख्यावनुपात्तको / नैष्यन्दिको नावरेण लत्येते मनसा च ती // 1 // निष्पन्न शमपः कुर्यात् स्मृत्युपस्थानभावनाम् | कायविच्चित्तधर्माणां विलसणपरीक्षणात॥१५॥ प्रता श्रुतादिमय्यन्ये संसर्गालम्बनात् क्रमः। प्रपोत्पत्ति चतुष्कं तु विपर्यासविपक्षतः / / 6 / /
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