Book Title: Abhidharmkoshkarika
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Jambuvijay
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________________ 1 प्रदास Ms. 5148-55. आदीक्यमन पत्राप्यमीळमात्सर्यमुद्भव। ------ कोकृत्यं स्त्यानमिदं च पर्यवस्थानमरधा॥४८॥ क्रोधमौ च रागोत्या आहीक्यौ त्यमत्सराः। "म्रक्षे विवादोऽविद्याता:] स्त्यानमिद्धानपत्रपाः॥४९॥ / कौकत्यं विचिकित्सात: क्रोधेष्ये प्रतिधान्वये / अन्ये च षट् केशमला माया शाठ्यं मद स्तथा / / 55 // . प्रदाश उपनाहश्च विहिंसा चेति रागी)। मायामदौ प्रतिधजे उपनाह विहिंसने // 51 // दृष्ट्या माओत् प्रदास्तु शाहय दृष्टिसमुत्थितम्। तत्राहीक्यानपत्राप्यस्त्यानमिद्धोद्भवा विधा / / 52 // तदन्ये भावनाहेया: स्वतन्त्राञ्च तथा मला:। कामेऽशुभास्त्रयो टेवा परेणा व्याकृतास्ततः // 53 // माया शाठ्यञ्च कामायध्यान यो ब्रह्मवचनात्। स्त्यानो हत्यमदा धात्त्रयेऽन्ये काम धातुजा // 5 // समानमिद्धा दृग्या मनोविज्ञानभूमिकाः। उपके शाः स्वतन्त्राश्च पहिताना श्रयाः परे // 55 //
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