Book Title: Abhidharmkoshkarika
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Jambuvijay

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Page 14
________________ आयुर्जीवित्तमाधार- उमविज्ञानयोहि यः। ------ लक्षणानि पुनर्जाति र्जरा स्थितिरनित्यता // 45 // जातिजात्यादयस्तेषां तेऽधमैकवृत्तयः) जन्यम्य जनि का जातिर्न हेतु प्रत्ययै विना / / 46 // नामकायादयः संता वाक्याक्षर समुक्तयः) कामरूपाप्तसत्वाच्या निष्यन्दा: व्याकृतास्तथा / / 6 / / सभागतौ विपाकोऽपि त्रैधातु क्याप्तयो विधा। लसणानि च निष्यन्दाः समापत्यसमन्वया // 4 // कारण सहभूश्चैत्र सभागः सम्प्रयुक्तकः। सर्वनगी विपाका व्यः पविधी हेतुरिष्यते / / 6 / / स्वतोऽन्ये कारणं हेतु: सहभूर्ये मिपरफला:। भूतपच्चित्तचित्तानुवतिलझणलश्यवत् // 50) चैता द्वौ संवरौ तेषां चेतसो लक्षणानि च। . चित्तान्वर्तिनः काल फलादि शुभतादिभिः // 54 // सभागहेतुः सदृशाः स्वनिकायभुवोऽग्रजाः। अन्योन्यं नव भूमिस्त मार्गः समवशिष्टयोः / / 2 / / प्रयोगजास्तयोरेव शुनचिन्तामयादिकाः। सम्पयुक्तकहेतुस्त चिनचैत्ता: समाश्रया: / / 53 //

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