Book Title: Abhidharmkoshkarika
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Jambuvijay
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________________ क्रोधोपनाह झाध्येया प्रासम्ममसराह) प्रमाद -MR... माया मदविहिं साश्च परीतकुशभूमिकाः // 27 // सवितर्क विचारत्यात् कुशले कामचेतसि / द्वाविंशतिाश्चैतसि] का? कौकृत्यमधिकं कचित // 28 // आवेगिके वकुशले दृष्टियुक्ते च विंशतिः। कुशचतुर्भिः क्रोधायैः कोकृत्येनैकनिंशतिः // 29 // निर्वृत्तेऽादशाऽन्यत्र बादशाऽव्याकृतेः मताः / मिदं सर्वाबिरोधित्वाद् यत्र स्यादधिकं हि तत् // 30 // कौ कृत्य मिद्धाकुशलान्याये ध्याने न सन्त्यतः। . ध्यानान्तरे वितर्क श्च विचारश्चाप्यतः परम् / / 3 / / sमयद-| अहीरगुरुतावद्ये भयादर्शित्वमत्रपा) प्रेम श्रद्धा गुरुत्वं हीस्ते पुन: कामरूपयोः / / 33 // * बौदत्य / बितर्कचाराबौदार्यसूमते मान उन्नतिः। मदः स्वधर्मे रक्तस्य पर्यादानं तु चेतसः // 33 // चित्तं मनोऽध वितान मेकार्थ चिनचैतसाः। साश्रयालम्बनाकारा: सम्प्रयुक्ताश्च पञ्चधा // 34 // विप्रयुक्तास्तु से स्काराः प्राप्त्यप्राप्ती सभागता) आसंतिकं समापत्ती जीवितं लअणानि च // 35 // L.V.P. 1.v.P
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