Book Title: Abhidharmkoshkarika
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Jambuvijay

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Page 11
________________ ---------सोमनायी च-दुःखी तु सप्तभिः स्त्रीन्द्रियादिमानारद ----- अशभिरेकादशभिस्वाज्ञासातेन्ट्रियान्जितः। आतास्यामीन्द्रियोपेतस्त्रयोदशभिरन्वितः॥१९॥ सर्वाल्यैर्निः श्भोऽशभिविन्मनः कायजीवितैः। युक्तो बालस्तपाऽऽप्ये उपेक्षायुर्मनः शुभैः // 20 // बहुभिर्युक्त एकान्न विंशत्याऽमलवर्जितैः। दिलि आर्थराग्येक लिङ्ग धमल वर्जितः // 24 // का मेष्ट द्रव्यको शब्द: परमाणुरनीन्द्रियः। न्दिमो कायेन्द्रियी नवव्यो दशद्रव्योऽ परेन्ट्रियः // 22 // चित्त- चैत्ता: सहावश्यं सर्व संस्कृतलक्षणैः। प्राप्त्या वा पञ्चधा चैत्ता महाभूभ्यादि भेदतः // 13 // विदना चेतना संता छन्द: स्पर्शो मति: स्मृतिः। मनस्कारोऽधिमाजश्च समाधिः सर्वचेतसि // 24 // श्रद्धा प्रभादः प्रश्रधिरूपेक्षा हीरपत्रपा) मलवयमहिंसा च वीर्य च कुशले सदा / / 255 द्वतः M.s. वीर्य ...P) मोहः प्रभाद: कौसीद्यमाद्धं स्त्यानमुद्रयः।। किष्टे सदैवाकुशले वाहीन्यमनपत्र पा // 26 // L.V.P.

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