Book Title: Abhidharmkoshkarika
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Jambuvijay
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________________ --विपाकजैर्धापधिक छौल्यस्थानिक निर्मितम् =-=-=-= चतुर्धाऽव्याकृतं कामे रूपे शिल्प विवर्जितम् // 3 // कुिष्टे वैधातुके लाभ नई प्रणा घण्णा द्वयोः शुभे। त्रयाणां रूपजे शैक्ष चतुर्णा तस्य शेषिते // ian इन्द्रिय निर्देशो नाम द्वितीयं को श स्थानम् //
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