Book Title: Abhidharmkoshkarika
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Jambuvijay
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________________ - Adulhendi अ मरो मुले ---- LYPS नरकप्रेततिर्यञ्चो मनुष्याः घट दिवौकसः। काम धातुः स नरक द्वीय भेदेन विंशति // 4 // ऊध सप्तदशस्थानो रुपधातुः पृथक पृथक , ध्यान विभूमिकं तत्र चतुर्थ त्वष्टभूमिकम् // 3 // आरुप्यधातुरस्थान उपपत्त्या चतुर्विधः।. निकायं जीवितं तत्र निनिता चित्त सन्ततिः॥३॥ नरकादि स्वनामोक्ता गतयः पञ्च तषु ताई। अकिष्टाव्याकृता एवं सत्वाख्या नान्तराभवः // 4 // नानात्व कायसंज्ञाश्च नानकायैकसं तिनः। विपर्ययाच्चैककायसंज्ञाश्चारुपिण स्त्रयः // 5 // विज्ञान स्थितयः सप्त शेषं तत्परिभेदवत् / भवाग्रासंजिसत्वाच सत्वावासा नन स्मृताई // 6 // अनिच्छावसनान्नान्ये चतसः स्थितयः पुनः। चत्वारः साश्रवाः स्कन्धा स्वभूमाधिवेव केवलम् // 1 //
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