Book Title: Abhidharmkoshkarika
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Jambuvijay

View full book text
Previous | Next

Page 25
________________ ध परिषण्टाचतसोऽश्य दशसाहसिकान्तराः) प्रोडशाष्टौ सहस्राणि चत्वारि वे च निर्गता:॥६३॥ कोट पाणयस्ता मालाधारा: सदामदास महारानिकदेवाश्च पर्वतेष्वपि सप्तस्त्॥६ला मेरुमूर्धि त्रयस्त्रिंशाः स चाशीति सहसहिदिक / विदिश् कूयश्चत्वारः उषिता वजपाणिभिः // 65 // मध्ये सार्ध ट्विसाहसपार्चमध्यर्ध योजनम् / पूरं सुदर्शनं नाम नि हैमं चित्र नलं मृदु॥६६॥ सार्ध दिशत पार्थोऽत्र वैजयन्तो बहि:पुन:) तच्चत्ररथ पारुष्य मिश्रनन्दन भूषितम् / / 61 // विझायान्तरितान्येषां सुभूमीनि चतुर्दिशम् | पूर्वोत्तरे पारिजात: सूधर्मा दक्षिणावरे // 680 तत फवं विमानेषु देवा; कामभुज स्तु षट् / इन्द्वालिंगन- पाण्याप्ति- हसिते-सितमैथुनाः / / 69 // vPण ... पञ्च वोपमो यावद्दशवर्षापमः शिषVP : / संभवत्येषु संपूर्णा : सवस्त्राचैव रुपिणः॥9॥ कामोपपत्नय स्त्रिसः कामदेवाः समानुषाः। सुखोपपत्तयस्त्रिस्रो नवत्रि ध्यानभूमयः // 21 //

Loading...

Page Navigation
1 ... 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84