Book Title: Abhidharmkoshkarika
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Jambuvijay
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________________ गमित्याचारातिगत्यात्सौकदिक्रियाप्तित / समान--- यथाभ्युपगर्म लाभ संवरस्य न सन्तते // 33 // मृषावार प्रसंगाच्चसर्व शिक्षाभ्यतिक्रमे प्रतिक्षेपणसावद्यान्माद्यादेवा तिगुप्तये ३ना सर्वो भयेभ्यः को कामाप्ती वर्तमानेभ्य आप्यते। मौलेल्यः सर्वकालेभ्यो ध्यानाना श्रवसंवरौ // 35 // संवरः सर्वसत्वेभ्यो विभाषांत्वन कारगैः / असंवरस्तु सर्वेभ्यः सर्वाभ्यो न कारणैः // 36 // असंवरस्याक्रियया लाभोऽभ्युपगमेन वा / छोणाविज्ञप्तिलाभस्तु क्षेत्रादानादरेहणात् / / 3. प्रातिमोक्षदम (मद ??) त्याग: शिक्षानिक्षेपणाध्यते। उभयव्यंजनोत्पत्तेर्मूलच्छेदान्निशात्ययात // 38 // "पतनीयेन चत्येके सद्धर्मान्तड़ितोऽपरे) धन पर्णवत्त कामी रे रापन्नस्येष्यते इयम् / / 39 / / भूमिसंचारहानियां ध्यानाप्त पाना त्यज्यते शुभम्। "तथा रुथ्याप्त मार्य तु फलाप्त्य् त्ततिहानिभिः // 40 // असंवरः संबराप्ति मृत्युदिव्यंजनोययैः।। वेगादान क्रियायुर्मूलच्छेदैस्तु मध्यमा // 41 //
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