Book Title: Abhidharmkoshkarika
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Jambuvijay
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________________ M.S. ॐनसमन नामकायादयश्चेति प्राप्तिलीझरतमन्ययः) - ..... पात्य प्राप्ती स्वसन्तानपतितानां निरोधयोः // 36 // यध्यिकानां त्रिविधा शुभादीनां शुभादिका) स्वधातुका तदाप्तानामनाप्तानां चतुर्विधा / / 37 / / त्रिधान शैमाडौमाणामहयानां विधा मता। अव्याकताप्ति: सहजाऽभितानेर्माणिकाहते // 38 // निवतस्य च रूपस्य कामे रूपस्य नागजा) अष्टिाव्याकृतिा प्राप्तिः सातीताजातयोस्त्रिया // 39 // कामा द्याप्तामल्लानां च मार्गस्याप्राप्तिरिष्यते / पग्जनत्वं तत्प्राप्तिभूसञ्चाराद् विहीयते // 40 // सभागना सत्त्व साम्यमासंतिकमसं तिम्। निरोधचित्त-चैतानां विपाकस्ते बहत्कला: // 4|| तथाऽसति समापत्तिानेऽन्त्ये निःसृतीच्छया। शुभोपपघवेद्यैव नार्यस्यैकधिकाप्यते // 43 / / | निरोधाख्या तथैवेयं विहारार्थ भवाग्रजा / || शुभ हिरवे याऽनियता चार्य स्याप्यप्रयोगतः // 43 // बोधिलभ्या मुने प्राक् चस्त्रिंश-अणाप्तित: कामरंपाश्रये तुझे निरोधारव्यादितो नृषु / / 6 / /
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