Book Title: Abhidhana Sangraha Part 01
Author(s): Sivdatta Pandit, Kashinath Pandurang
Publisher: Nirnaysagar Press
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५. लिङ्गानुशासनम्
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इति प्रार्थयतः -
हेमचन्द्रः ।
लवपुरीयविश्वविद्यालयाध्यापकदुर्गादत्तशास्त्रिणाम् ।
-- जंगमयुगप्रधान बृहत्खरतरगच्छप्रधानभट्टारकश्रीजिनमुक्तिसूरिणाम् ।
— खरतरगच्छस्योजीराममुनीनाम् ।
६. अभिधानचिन्तामणिशिलोञ्छः
तदेवमेकानेक पुस्तकाधारेण शोधितमुद्विताभिधानसंग्रहेऽस्मदोषादक्षरयोजकदोषाद्वा यत्र वचनाशुद्धिः स्थिता जाता वा तत्र सहृदयाः सौहार्देण समाधास्यन्ति ।
यतः ---
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गच्छतः स्खलनं क्वापि भवत्येव प्रमादतः । हसन्ति दुर्जनास्तत्र समादधति सज्जनाः ॥
पण्डित - शिवदत्त - काशीनाथ ।
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