Book Title: Vir Nirvan Samvat aur Jain Kal Ganana
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: Shardaben Chimanbhai Educational Research Centre
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वीर निर्वाण संवत् और जैन काल-गणना
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का वर्णन किया है । अजातशत्रु से अशोक के अभिषेक तक की उक्त अवधियाँ इस प्रकार हैबौद्धगणना६
पुराणगणना-१७ अजातशत्रु
अजातशत्रु उदायिभद्द
वंशक अनुरुद्ध-मुंड
उदायी नागदासक
नंदिवर्धन सुसुनाग
महानंदी कालासोक
नवनंद कालासोकपुत्र
चंद्रगुप्त नव नन्द
बिंदुसार चंद्रगुप्त बिंदुसार अनभिषिक्त
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२२५
३२८
१६. बौद्ध ग्रंथों में अजातशत्रु का राजत्व काल ३२ वर्ष का लिखा है। और बाकी के मागध राजाओं के राजत्व काल का प्रतिपादन करनेवाली 'महावंश' की निम्नलिखित गाथाएँ हैं
"अजातसत्तु पुत्तो तं, घातत्वोदयभद्दको । रज्जं सोलसवस्सानि, कारेसि मित्तदुब्भिको ॥१॥ उदय भद्दपुत्तो तं, घाते त्वा अनुरुद्धको । अनुरुद्धस्स पुत्तो तं, घातेत्वा मुण्डनामको ॥२॥ मित्तदुनो दुम्मतिनो, ते पि रज्जं अकारयुं । तेसं उभिन्नं रज्जेसु, अट्ठवस्सानतिक्कमुं ॥३॥ मुण्डस्स पुत्तो पितरं, घातेत्वा नागदासको । चतुवीसति वस्सानि, रज्जं कारेसि पापको ॥४॥
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