Book Title: Vir Nirvan Samvat aur Jain Kal Ganana
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: Shardaben Chimanbhai Educational Research Centre

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Page 204
________________ Catalogue of the Manuscripts of Patan Jain Bhandara Parts I, II, III, IV संकलन कर्ता - स्व. मुनिश्री पुण्य विजयजी; संपादक - मुनि जम्बूविजयजी पातञ्जल योगदर्शन तथा हारिभद्रीय योगविंशिका : संपादक - पं. सुखलालजी / A Treasury of Jain Tales: Prof. V. M. Kulkarni अमदावादनी चैत्यपरिपाटीओ (र) : सम्पादक - डॉ. रमणलाल ना. महेता, डॉ कनुभाई व्र. शेठ / न्यायावतार सूत्र : आचार्य सिद्धसेन दिवाकर; विवेचक, पं. श्री सुखलाल संघवी। नयकर्णिका : श्री विनयविजय उपाध्यायजी तत्त्वार्थाधिगम सूत्र (सभाष्य) : श्रीमद् उमास्वाति प्रणीत, गुजराती अनुवाद धर्मरत्नकरण्डक : श्रीवर्धमान सूरि विचरित, सं. आ. मुनिचंद्र सूरि / प्राचीन गुजरातना सांस्कृतिक इतिहासनी साधन सामग्री : मुनिश्री जिन विजयजी चन्द्रलेखा विजय प्रकरण : श्री देवचन्द्रमुनि प्रणीत, सं. आ. प्रद्युम्नसूरि Concentration : Virchand Raghavji Gandhi शोधखोळनी पगदंडी पर : प्रो. हरिवल्लभ भायाणी / उसाणिरुद्धं : ले. रामपाणिवाद, सं. वी. एम. कुलकर्णी महावीर वाणी : सम्पादक; पं. बेचरदास जीवराज दोशी। श्रीसिद्धहेमशब्दानुशासनम् : मध्यमवृत्ति-भाग-१; लेखक - श्री हेमचन्द्राचार्य, सं. रत्नज्योति विजयजी मानतुंगाचार्य और उनके स्तोत्र : सं. : प्रा. मधुसूदन ढॉकी और डॉ. जितेन्द्र शाह / सप्तक : लेखक; मधुसूदन ढांकी कल्पान्तर्वाच्य : लेखक, नगर्षिगणि (वि. सं. 1657), सं. प्रद्युम्नसूरि कवि समयसुन्दर : एक अभ्यास : लेखक : वसंतराय बी. दवे / 1600/- रु. 120/- रु. 200/- रु. 30/- रु. 25/- रु. २५/-रु. 150/- रु. 250/- रु. 40/- रु. 50/- रु. 30/- रु. 150/- रु. 70/- रु. 75/- रु. १00/-रु 130/- रु 66/- रु. 50/- रु. 125/- रु. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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