Book Title: Vir Nirvan Samvat aur Jain Kal Ganana
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: Shardaben Chimanbhai Educational Research Centre
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जैन काल-गणना-विषयक एक तीसरी प्राचीन परंपरा
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वीर-गताब्द
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वीर-गताब्द ३०४ वीर-गताब्द
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३३० वीर-गताब्द वीर-गताब्द ३५४ वीर-गताब्द वीर-गताब्द वीर-गताब्द वीर-गताब्द वीर-गताब्द वीर-गताब्द ४१० विक्रम-गताब्द १५३
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पाटलिपुत्र पर पुष्यमित्र का अधिकार भिक्खुराय का स्वर्गवास । वक्रराय का राज्याभिषेक । बलमित्र-भानुमित्र का मरण । नभोवाहन की राज्यप्राप्ति । वक्रराय का स्वर्गवास । विदुहराय का राज्याधिकार ।। नभोवाहन का स्वर्गगमन । गर्दभिल्ल का राज्याधिकार । विदहराय का परलोकवास । विक्रमार्क का उज्जयिनी में राज्याभिषेक । आर्य स्कंदिल की प्रमुखता में जैन श्रमणों की मथुरा में सभा हुई । गंधहस्ती ने आचारांग का विवरण रचा । स्कंदिलाचार्य का मथुरा में स्वर्गवास६ ।
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वीर-गताब्द वीर-गताब्द
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- उपसंहार हिमवंत थेरावली की खास ज्ञातव्य बातों का दिग्दर्शन करा दिया। इनमें कई बातें ऐसी हैं जो अधिक खोज और विवेचन की अपेक्षा रखती हैं । यदि मूल थेरावली उपलब्ध हो गई और अपेक्षित समय मिला तो इसके संबंध में स्वतंत्र निबंध लिखेंगे-इस विचार के साथ यह लेख यहीं पूरा किया जाता है ।
२६. इस घटनावली में जिस जिस घटना का समय ★ इस चिह्न से चिह्नित है उसका पट्टावली, थेरावली आदि अन्य ग्रंथों से भी समर्थन होता है, पर जिस घटनाकाल के आगे उक्त चिह्न नहीं है उसका सिर्फ इसी थेरावली में उल्लेख है -- ऐसा समझना चाहिए।
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