Book Title: Vir Nirvan Samvat aur Jain Kal Ganana
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: Shardaben Chimanbhai Educational Research Centre
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वीर निर्वाण संवत् और जैन काल-गणना
___ पुष्यमित्र के उक्त कामों ने ब्राह्मण समाज को संतुष्ट कर दिया । इतना ही नहीं बल्कि उनके मन में ऐसी भावना का बीज बो दिया जो आगे जाकर अवतार की कल्पना के रूप में प्रगट हुआ । सचमुच ही कल्की का वर्णन एक सत्य घटना का कल्पनामिश्र इतिहास है ।
जैन वर्णनों में तो कतिपय बातें प्रकटतया इस घटना की ऐतिहासिकता के प्रमाण हैं ।
गंगा और शोण की बाढ़ों से पाटलिपुत्र के बह जाने की बात हमारी समझ में सत्य घटना है । चंद्रगुप्त के दरबार में रहनेवाले ग्रीक वकील मेगास्थनीज के अपनी 'टा इंडिका' में दिए हुए पाटलिपुत्र के वर्णन और वर्तमान समय में उसके कथनानुसार पाटलिपुत्र के प्राचीन अवशेषों के मिलने से यही अनुमान होता है कि मेगास्थनीज वर्णित पाटलिपुत्र किसी विशेष घटना के परिणामस्वरूप भूमिशायी हो गया था जो खोदने पर अब प्रकट हो रहा है । हमारी राय में चंद्रगुप्त के पाटलिपुत्र को नष्ट करनेवाली यदि कोई घटना हो सकती है तो वह कल्की के समय में होनेवाला जल-प्रलय ही है ।
कल्की संबंधी जैन वर्णनों में ध्यान खींचनेवाली दूसरी बात यह है कि कल्कि नंदकारित स्तूपों को देखता है और उसके मनुष्य नंद की समृद्धि का उसके सामने बयान करते हैं । इससे हम यह मान लेने में कुछ भी अनुचित नहीं करते कि कल्कीवाली घटना नंदों के पीछे परंतु उनकी बनवाई हुई इमारतों की मौजूदगी में हो गई थी। यह घटना-काल यदि वीर निर्वाण से ३७५ वर्ष पीछे मान लिया जाय तो वह समय पुष्यमित्र का हो सकता है ।
पुराणकार स्पष्ट कह रहे हैं कि कल्की पाखंडियों (अन्य दार्शनिक साधुओं) का नाश करेगा, जैन भी कहते हैं कि कल्की जबरदस्ती साधुओं के वेष छीनेगा और उनको पीड़ा देगा और बौद्ध भी यही पुकारते हैं कि पुष्यमित्र ने बौद्ध धर्म को नष्ट करने का संकल्प करके बौद्ध मठों और भिक्षुओं का नाश किया । इन तीनों मतों के भिन्न भिन्न परंतु एक ही वस्तु का प्रतिपादन करनेवाले वर्णनों को देखकर हमें यही कहना पड़ता है कि पौराणिकों का 'कल्कि अवतार' 'जैनों का कल्कीराज' और बौद्धों का 'पुष्यमित्र' ये तीनों एक ही व्यक्ति के भिन्न भिन्न नाम हैं ।
यहाँ प्रश्न हो सकता है कि जब पौराणिक और जैनग्रंथकारों का वर्णन भी पुष्यमित्र को ही लक्ष्य कर रहा है तो वह पुष्यमित्र के ही नाम से क्यों न किया गया? अथवा क्या कल्कि और पुष्यमित्र शब्द एकार्थिक हैं ? उत्तर यह है कि 'कल्कि' और
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