Book Title: Vir Nirvan Samvat aur Jain Kal Ganana
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: Shardaben Chimanbhai Educational Research Centre

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Page 195
________________ १७६ वीर निर्वाण संवत् और जैन काल-गणना विक्रमार्क अति पराक्रमी, जैनधर्म का आराधक और परोपकारनिष्ठ होने से अत्यंत लोकप्रिय हो गया ।" यहाँ पर विक्रमार्क-राज्यारंभ वीर-निर्वाण संवत् ४१० के अंत में लिखा है और मेरुतुंग की विचार-श्रेणी आदि के अनुसार विक्रमादित्य ने ६० वर्ष तक राज्य किया था, इस हिसाब से विक्रमादित्य का मरण निर्वाण से ४७० वर्ष के बाद हुआ । आचार्य देवसेन, अमितगति आदि जो विक्रम मृत्युसंवत् का उल्लेख करते हैं उसका खुलासा इस लेख से स्वयं हो जाता है । वीर और विक्रम का अंतर तो ४७० वर्ष का ही है पर प्रस्तुत परंपरा के अनुसार यह अंतर महावीर के निर्वाण और विक्रम के मरण का है, तब अन्य गणना-परंपराओं में यह अंतर वीर-निर्वाण और विक्रम-राज्यारोहण का अथवा विक्रम संवत्सरप्रवृत्ति का माना गया है । प्रस्तुत थेरावली की गणना के अनुसार महावीर-निर्वाण से विक्रमराज्यारंभ तक के ४१० वर्षों का हिसाब नीचे के विवरण से ज्ञात होगा । निर्वाण के बाद कोणिक तथा उदायी९ नवनंद चंद्रगुप्त बिंदुसार अशोक संप्रति२० बलमित्र-भानुमित्र १९. तित्थोगाली पइन्नय की गणना में ६० वर्ष पालक के लिये हैं, पर इसमें पालक का कहीं भी नाम-निर्देश नहीं है । २०. संप्रति २९३ के बाद स्वर्ग गया और २९४ के बाद बलमित्र भानुमित्र राजा हुए । इससे मालूम होता है, बीच में १ वर्ष तक कोई राजा नहीं रहा होगा-अराजकता रही होगी । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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