Book Title: Vicharamurtsar Sangraha
Author(s): Kulmandansuri
Publisher: Fakirchand Maganlal Badami
View full book text
________________
ShrMahavaJain.rachanaKendra
Acharyn. ShekailassagarsunGyanmandir
मृतसंग्रहे ॥२४॥
र चतुर्दशी
पाक्षिकविचार:
VAARAAAAAAAAAAAAAAAA
९|| आसाढबहुलपक्खे भद्दवए कत्तिए य पोसे य। फग्गुण वइसाहेसु य बोद्धव्वा ओमरत्ताओ ॥१०॥ पक्खो य चंदसिद्धो Bान धिप्पए बच्छरो व इह मुत्ते। किं पुण चउद्दसीओ तिहीउ सो चउद्दसी जाव ॥ ११॥ यतो व्यवहारचूगी मासार्धरूपं पाक्षिकं
चतुर्दश्यामुक्तं ॥१२॥ परिहारविमुद्धीणं गीयत्थाणं च पुबसूरीणं । एम चिय आयरणा अलंघणिजा जओ भणियं ॥१३॥ आयरियपरंपरण समागयं जो उ आणुपुबीए । कोवेइ छेयवाई जमालिनासं स नस्सिहिही ॥१॥ सूत्र नियुक्ती, जइ हुआ दुन्नि | दिवसे चेइयजइवंदणोववासो य । कस्स नहु नाणुमयं ? परं न सुत्तेण संवयइ ॥१५॥ अम्हाणममिनिवेसो न कोइ इत्थ परमन्नहा चागुतं । अघडतपित्र पुवावरेण पडिहाइ किं करिमो? ॥१५|| जं जह सुत्ते भणिय तहेब जइ तब्धियारणा नस्थि । किं कालियाणुश्री ओग्गो दिट्टो दिहिप्पहाणेहि ॥ १७॥ पुवावरेण परिभाविऊण सुपि पासियचंति । जं वयणपारतंतं एयं धम्मत्थिणो लिंग सी।१८।। एवं तु 'कारणे कालगायरिएहिं चउत्थीए पोसवणं पवत्तियं, समत्थसंघेण य अणुमन्नियं, तबसेण य पक्खियाईणि बचउदसीए आयरियाणि, अन्नह आगमुत्ताणि पुण्णिमाएवि' ठाणावृत्ती श्रीदेवचंद्रमरिकतायां, इह व्यवहारचूादौ चतुर्दश्याः |
गाक्षात्पाक्षिकत्वे रश्यमाने पूर्णिमायाश्च काप्यागमे साक्षाददृश्यमानेऽपि ग्रन्थकता आगमोक्तानि पूर्णिमायामिति यदुक्तं तन्न ज्ञायते केनाप्यभिप्रायेण संप्रदायेन वेति, परमेतस्मिन्नपि ग्रन्थे चतुर्थीपर्ववत् आचरितलक्षणोपेतत्वात् चतुर्दश्यां पाक्षिकादीन्यपि प्रमा-1 | णीकृतान्येव सन्तीति, इह पाक्षिकविपये जनानां कालदोपविशेषेण द्विवचनप्रवृत्तिईश्यते, परं चतुर्दशीपाक्षिकविषये प्रभूतयुक्त
योऽन्यथानुपपन्नमत्रार्थसंवादा आगमाक्षराणि वर्तन्ते, तथाहि-पाक्षिके चतुर्थचैत्यसाधुवंदनरूपाणि कृत्यानि व्यवहारादिबहुस्थानेषु | | कथितानि सन्ति, तथा श्रीमुनिचन्द्रमरिशतपदीकारादिकालवर्तिपाक्षिकचूर्णी दशाश्रुतस्कंधचूर्णिमहानिशीथावश्यकचूर्णिसमरादित्य
AAAAAAAAAAAAAAAAAAAAZ
॥२४॥
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108