Book Title: Vicharamurtsar Sangraha
Author(s): Kulmandansuri
Publisher: Fakirchand Maganlal Badami

View full book text
Previous | Next

Page 62
________________ Shri Mahava Jain Aradhana Kendra श्रीविचारामृतसंग्रहे ॥६०॥ www.kobatirth.org. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एवं दिवसओ बंदणगविहाणं भणियं, रतिमाइसुवि जेसु टासु दिवसग्गहणं तत्थ राइगादी भाणियव्वा, पादोसिए जाव पोरि सीओ, २ न उघाडइ ता देवसियं भण्णति, पुव्वण्हे जाव पोरिसी न उग्वाडति ताव राड्यं " ति आव० चू० अध्य० ३५० ३६० 'बीपि वसंताणं' इत्यादि 'अह हत्थसयस्स बाहिं बसही लद्धा ताहे आयरियमगासे आलोहत्ता सकाए वसहीए वैयालियावस्सयं करिंति, गोसे आवासयं काउं आयरियसगासे गंतुं आलोइत्ता पञ्चक्खाणं गिष्हंति, दूरेति-जति अण्णगामे ठिता होऊ ताहे जदि गुरुसगासे ऐतर्जतगाणं पोरिसीभंगो ण हुआ ताहे उग्घाडाए पोरिसीए आगंतुं आयरियसगासे आलोएंति, पञ्चक्खाणं पुरिमडिया गिव्हंति, एवं दूरडियाण अविसेसियं भणियं, कई पुण विसेसितंति ?, तेसि अत्थि कोति गीयत्थो सहाओ तो ते अगीया तस्सेवंतिए आलोएंति, जो सो गोतो उघाडाए पोरसीए गुरुसगासमागंतुं वियंडेति, अह नत्थि कोति तेसिं गीयत्थो ताहे उग्घाडाए पोरिसिए गुरुसगासमागंतुं पत्तेयं २ आलोएंति दूर इति वर्तते, जदि दूरे वसही लढा हुआ तत्थ जड़ इमं हुआ एंताण य जंताण य पोरिसीभंगो ततो गुरू वयंति धेरे अजंगमंमि व मज्झरहे बावि आलोए, जदि उग्घाडपोरसीए इंतजंताण पोरसोभंगो भवति तो आयरिएण चैव अकयसुयाणं सगासं गंतव्यं, अह आयरिओ वुट्टत्तणेणं गेलणेण वा न सक्केति गंतुं ताहे अघडसुया मज्झ आयरियसगास मागंतु आलोएंति" व्यव० भाग्यचूणी, इह मध्याह्नेऽपि रात्रिकालो चनमुक्तं, मध्याह्नशब्दार्थः पौरुप्यनन्तरकाले प्रयुक्तो दृश्यते, तथाहि पडिलेतचिय बेटियाओ काऊन पोरिसि करिति । चरिमा उग्गाहेउं सुना मज्झण्डे वञ्चति ||१|| ओघ० सूत्रे, इह च देवसिकादीनामयं कालनियमः, यथा देवसिकं मध्याह्नादारभ्य निशीथं यावद्भवति, रात्रिकं निशीथादारभ्य मध्याहं यावद्भवति, पाक्षिकचातुर्मामिकसांवत्सरिकाणि पक्षायन्ते भवन्ति" योगशास्र० प्र० वृत्तौ इति रात्रिकदैव सिककालविभागः ९॥ For Private And Personal Use Only AAKAR ९ रात्रिकदेवसिक कालः ॥६०॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108