Book Title: Vicharamurtsar Sangraha
Author(s): Kulmandansuri
Publisher: Fakirchand Maganlal Badami

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Page 61
________________ ShrMahavaJain.rachanaKendra Acharyn. ShekailassagarsunGyanmandir श्रीविचारामृतसंग्रहे ॥५९|| AAAAAAAAAAAAAAAAAAA&&& देवतां बन्दे ॥१॥' अनुयोगपत्तौ "पंचविहायारविसुद्धिहेतुमिह माहु सावगो बावि । पडिकमणं सह गुरुणा गुरुविरहे कुणइ इको-1 श्रुतदेवाऽवि ।।१।। बंदित्तु चेहयाई दाउं चउरादिए खमासमण । भृनिहिय सिरो सयलाइयारमिच्छुकडं देइ ।।२।। मामाइयपुवमिच्छामि RT दिकायोठाइउ काउस्मग्गमिचाइ इत्यादिगाधाः १२, पुण पणवीसुस्सास उस्सगं कुणइ पारण विहिणा । तो सयलकुस लकिरियाफलाणा त्सगाः सिद्धाण पदइ थयं ॥१॥ अह मुयसमिद्धिहेउं सुयदेवीए करेइ उस्सग्गं । चितेइ नमुकार मुणइ य देह य तीइ थुई ॥ १५ ॥ एवं खित्तमुरीए उस्सग्गं कुणइ सुणइ देइ थुई । पढिऊण पंचमंगलमुत्रविसइ पमज संडासे । १६।। पुष्वविहिणेच पेहिय पुति दाऊण वंदणं गुरुणो। इच्छामो अणुसहिति भणिय जाणूहि तो ठाइ ॥१७।। गुरुथुइगहणे थुइ तिण्णि बद्धमाणक्खरस्सगे पदइ । सक्कन्थयं थर्व पदिय कुणइ पच्छित्तउस्सगं ॥१८॥ एवं ता देवसियं राइयमवि एवमेव नवरि तहिं । पढमं दाउं मिच्छामि दुकडं पदइ | सकथयं ॥१९|| उट्ठिय करेइ विहिणा उस्सग्गं इत्यादि गाथाः २६, इच्छामो अणुसहिति भणिय उवविसिय पहइ तिण्णि थुई। मिउसदेणं मक्कथयाइ तो चेइए वंदे ॥२७।। अह पक्वियं चउद्दसिदिणंमि पुच्वं व तत्थ देवसियं । मुर्ततं पडिकमिउं तो सम्ममिमं कम कुणह ॥२८॥ महपोती वंदणय संबद्धाखामणं तहाऽऽलोए। बंदण पत्तेयं खामणं च वंदणयमह मुत्तं ॥२९|| मुत्तं अ भडाणं उस्सग्गो पुत्ति बंदणय तहय। पतियखामणय तह चउरो छोभवंदणया ॥३०॥ पुष्यविहिणेव सवं देवसियं बंदणाह | तो कुणइ । सिजमुरी उस्सग्गे नेओ संतित्थयस्स पढणे य ॥३॥ एवं चिय चउम्मासे वरिसे उ जहकर्म विही पणेओ । पक्षियच| उमासवरिसेसु नवरि नामस्स नाणतं ॥३२॥"योगशा० तृ० प्र० वृत्तौ, श्रुतदेवतादिकायोत्सर्गविचार:८॥ I तथा “ओघाडपोरिसिं जा राइयमावस्सयस्स चुण्णीए । ववहारामिप्पाया भणंति पुण जाब पुरिमहूं ॥२॥" पाक्षिकसप्तयां, ॥५९॥ AAAAAAAAAKAAKASAKARMA - For Private And Personal Use Only

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