Book Title: Vicharamurtsar Sangraha
Author(s): Kulmandansuri
Publisher: Fakirchand Maganlal Badami
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ShrMahavaJain.rachanaKendra
Acharyn. ShekailassagarsunGyanmandir
श्रीविचारा- मृतसंग्रहे ॥३०॥
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यो चउमास मुंजइ चउगे य दति मजमायं । चंदणलानं चउगे, नंण पर मूल निन्छभणं ।। || आयरिओ गुण अणुवसमनस्यवि ४ पर्युषणा सचउगे मासे भनपाणदाणग्गहणसंभोगण मं जनि, चउपहंच उपरि भत्तई न फोनि, पउगे समझायं देति, तओ सज्झायं परजेति,TET विचार
वंदणालावपद दावि चउंगे माये कति, तनो बरिस पुष्ण मंधचरिण पहिने मुलं पच्डिन गणाओ य निभगि--एवं बारसमासे दोसु नबो सेसए भवे छेदी। परिहायमाणतहिबग यो मूल पडिकने ।। एवं बाग्म मामा अणुबममंदासु नयी आदिमेसु जाच गच्छेण न वजिओ, सेसेसु दससु मासु दो पंचगनिदियाइओ जाब गंवरे पत्तो, पओसवणगतिपडिताण अहिगरण उप्पन्ने एसो विर्धा, दिवममा परिह विना नहिवसे इति-पजोमवणदिवसे अधिकरण उप्पन्ने नयो मुलं च भवति, न छेदी, पडिकमणकाले वा उपने मूलमेव केवलं पडिकने भवति, एसेवन्यो भण्णनि-एवं इशिवादिणं ठवित्त ठवणादिकवि एमेव । चेहयचंदण सारिय तम्मि व काले तिमासगुरू ।। || भदययसुद्धपंचमीए अणदिने आइथे अहिगण उप संवळगे भवति । छिट्ठीए एगदिगुणो संवच्छरो भवति, एवं इविकदिणं परिहरीण आणेयध्वं जाव ठवणादिनि पज्जोमवणादिवस इत्यर्थः, नंमि ठवणादिणे अणुदिए आदिच्चे अहिगरण उप्प एमेव चोयणा सज्झायपट्टयणकाले चोइजद, पुणो घड्यवंदणकाले चोइर, अणुबसमंतो पुणो पडिकमण वेलाए, एवं तंमि पन्जोसवणकाल दिवसे तिमासगुरू भवति | निसी० ० उ १. पत्र २८२ एवं जुगप्पहाणेहिं चउत्थी कारणेण पयत्तिया, सञ्चेत्र अणुमया सब्बसाहणं' नि० ० उ०१० इह प्रतिक्रमणादिसांचन्मरिककृत्याधारभूता | भाद्रपदशुद्धपंचमीवाचकतया पर्युषणाशब्दोऽस्ति, एवं पर्युषणाया द्वयर्थत्वे दृश्यमानेऽपि कश्चिदाह-यथा चन्द्रसंवत्सरे स्वामिगृहीतगृहस्थज्ञातावस्थानकरणावसरे भाद्रपदशुद्धपञ्चम्यां प्रतिक्रमणतपश्चरणादिसांवत्सरिककृत्योपलक्षितं पर्युषणापर्व क्रियते तथाऽभिव-II ॥३९॥
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