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विषय प्रवेश : २५
वह योग्यता अर्जित कर लेते हैं, जिसके द्वारा वे संसार के प्राणियों का मार्गदर्शन कर सकें । जबकि ईश्वरवादी धर्मं यह मानकर चलते हैं कि दैवीशक्ति मानवीय कल्याण के लिए अपने आपको प्रकट करती है और मनुष्य का मार्गदर्शन करती है । चाहे कोई ईश्वरवादी धर्म हो या अनीश्वरवादी; किन्तु इतना तो सभी मानते हैं कि मानव समाज को अध्यात्म और नैतिकता के क्षेत्र में मार्गदर्शन के लिए समय-समय पर महान् व्यक्तित्वों की अपेक्षा होती है और वे महान व्यक्तित्व जन साधारण की इस अपेक्षा की पूर्ति करके संसार में धर्म मार्ग की संस्थापना करते हैं ।
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