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१४६ : तोर्थंकर, बुद्ध और अवतार : एक अध्ययन
में परिगणित अमिताय या अमिताभ सद्धर्म की स्थापना के निमित्त भविष्य में उत्पन्न होने वाले कहे गये हैं ।'
बौद्ध तन्त्र और वज्रयानी सिद्धों में इस अवधारणा का प्रचार अधिक हुआ है । प्रारम्भिक तन्त्र ग्रन्थ तथागतगुह्यक में पंच-ध्यानी बुद्धों के उपास्य एवं अवतारी रूपों का बृहद् विवरण मिलता है । " गृहसमाज" के अनुसार बुद्ध के रश्मिमेध व्यूह नाम की समाधि से पाँच रश्मियाँ निसृत हुईं। इन्हीं पंच रश्मियों से पाँच बुद्धों के उद्भव का आभास होता है । "अद्वयवज्र " के अनुसार बुद्ध के ध्यान करने से वैरोचन, रत्नसंभव, अमिताभ, अमोघसिद्धि, अक्षोभ्य पंच ध्यानी बुद्ध पंच स्कन्धों के प्रतीक रूप आविर्भूत होते हैं । * तथागत गुह्यसमाज के अनुसार तथागत विभिन्न ज्ञानों के आविर्भाव के कारण पाँच बुद्धों का रूप धारण करते हैं । बोद्ध धर्म में आगे चलकर इन बद्धों की स्त्री शक्तियों का भी उदय होता है । " (ग) मानुषी बुद्ध
परवर्ती बौद्ध धर्मं में निर्माण बुद्धों की संख्या अनन्त मानी गई है किन्तु प्रारम्भ में सात मानुषी बुद्ध ही निर्माणकाय कहे जाते थे । वे ही समयसमय पर धर्म की प्रतिष्ठा के लिए जन्म लेते हैं ।' पालि त्रिपिटक में अनेक स्थानों पर सात बुद्धों का उल्लेख है । इसके बाद में २४ बुद्धों की कल्पना की गई । महायान में ३२ बुद्धों की एक सूची भी मिलती है उसमें अन्तिम सात बुद्धों को मानुषी बुद्ध कहा गया है ।" बुद्धचर्या में सात " मानुषी बुद्धों" में से विपश्ची, शिखो, विश्वभू, क्रकुछन्द, कोनागमन, कस्सप के नामों का उल्लेख मिलता है । लंकावतारसूत्र में भी कश्यप, क्रकुछन्द और कनकमुनि इन तीन का उल्लेख मिलता है ।" इससे हमें मानुषी बुद्धों की १. उद्धृत - मध्यकालीन साहित्य में अवतारवाद (डॉ० कपिलदेव पाण्डेय) पृ० ४२ २. वही, पृ० ४२
३. वही, पृ० ४२
४. वही, पृ० ४२ ५. वही, पृ० ४२
६. वही, पृ० ३०
७. वही, पृ० ३०
८. वही, पृ० ३० ९. वही, पृ० ३० १०. वही, पृ० ३०
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