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२९२ : तीर्थकर, बुद्ध और अवतार : एक अध्ययन उपास्य भी बना दिया गया । जिस प्रकार हिन्दू धर्म में अन्य सब देवताओं को ईश्वर के अधीन करने का प्रयत्न किया गया वैसा हो एक प्रयत्न जेन और बौद्ध धर्मों में भी हआ, जिसके परिणामस्वरूप इन्द्र और दूसरे देवताओं को तीर्थङ्कर और बुद्ध के उपास्य के रूप में दिखाया गया । ___ वस्तुतः जैन, बौद्ध और हिन्दू परम्परायें एक ही परिवेश में विकसित हुई हैं, अतः मूल दृष्टिकोण में अन्तर होते हुए भी उन्होंने एक दूसरे से काफी कुछ ग्रहण किया है। उनमें किसी भी परम्परा को एक दूसरे से पृथक् करके नहीं समझा जा सकता है। प्रस्तुत तुलनात्मक अध्ययन यह बताता है कि तीर्थंकर, बुद्ध और अवतार को अवधारणाओं में इन तोनों परम्पराओं ने एक दूसरे से बहुत कुछ ग्रहण किया है
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि धार्मिक जोवन को साधना के रूप में तीर्थंकर, बुद्ध, अवतार तथा पैगम्बर का अवधारणा को स्त्रोकर करना आवश्यक है, क्योंकि बिना किसो धर्मप्रवर्तक और धार्मिक जोवन के यथार्थ को स्वीकार कर कोई भी धर्म अपना अस्तित्व नहीं रख सकता।
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