Book Title: Tirthankar Buddha aur Avtar
Author(s): Rameshchandra Gupta
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 374
________________ अशुद्धि-प्रपत्र पृष्ठ संख्या पंक्ति संख्या अशुद्ध ९४ इनकी १६ १०४ १०५ १२५ प्राणा हाता चार वैशार सत्कयदृष्टि त्रिशुद्धों शुद्ध इनमें प्राणी होता चार वैशारद सत्कायदृष्टि त्रिबुद्धों कायों गुह्यसमाज कार्यों गृहसमाज बद्धों विपश्यी सकता अवत्तर १६७ १७४ १९४ २१० कूर्मरूप विपश्ची सकती अवत्त कर्मरूप स्वर्य पशुपत दत्तातेय आकृति स्वयं पशुरूप २११ दत्तात्रेय आकूति २१९ २२० २२१ २३२ २३२ २३९ २४० कि और पश-मानव पशु-मानव साम्य २४८ सम्य दा विरते अपनी २५९ २७७ खिरते अपने Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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