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बुद्धत्व को अवधारणा : १२१ स्थापित किया गया । यद्यपि प्रारम्भ में उन्हें धर्म-पुत्र और धर्म-दायाद कहा गया किन्तु कालान्तर में उनका धर्म के साथ तादात्म्य मान लिया गया । संयुत्तनिकाय में भगवान् बुद्ध ने स्वयं वक्कलि से कहा था कि मेरे भौतिक शरीर को देखने से कोई लाभ नहीं है वस्तुतः जो धर्म को देखता और जो मुझे देखता है तादात्म्य दिखाया गया है ।
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है वह मुझे देखता है यहाँ बुद्ध का धर्म से
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धर्म को देखता है । यही बात मिलिन्दप्रश्न
( पञ्हो) में भी कही गयी है, उसमें नागसेन कहते हैं धर्म भगवान् के द्वारा देशित है जो धर्म को देखता है वही भगवान् को देखता है । बुद्ध का धर्म से यह तादात्म्य हो महायान के त्रिकायवाद में "धर्मकाय" का आधार बना है और यह धर्मकाय ही बुद्ध का स्वाभाविककाय मान लिया गया ।
यद्यपि बुद्ध को प्रज्ञावान् माना गया था किन्तु आगे चलकर उनकी इस प्रज्ञा को सर्वज्ञता में बदल दिया गया । मज्झिमनिकाय में बुद्ध स्वयं सर्वज्ञता की अवधारणा का खंडन करते हैं और अपने आप को सर्वज्ञ नहीं - कहते हैं किन्तु आगे चलकर उन्हें सर्वज्ञ कहा जाने लगा ।
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इस प्रकार बुद्ध के साथ धीरे-धीरे अलौकिकता जुड़ती ही गई । सर्वप्रथम उन्हें ३२ लक्षणों से युक्त एक विशिष्ट पुरुष माना गया उनके जन्म और कर्म दोनों ही दिव्य बनाये गये । बुद्ध के जन्म के साथ अनेक अलौकिकताओं को जोड़ा गया जैसे- जब बुद्ध का जन्म होता है तो सुख-दायक पवन बहने लगता है, लोक में शान्ति हो जाती है । मात्र यह ही नहीं, यह भी माना गया कि बुद्ध जन्म लेते हो पृथ्वी पर सात कदम चलते हैं वहाँ देवता कमल की रचना कर देते हैं आदि आदि । अंगुत्तरनिकाय में द्रोण ब्राह्मण भगवान् बुद्ध के पैरों में चक्र के चिह्न को देखकर उनसे पूछता है कि आप देव, गन्धर्व, यक्ष या एक मरण धर्मा जीव हैं ? बुद्ध इसके प्रति उत्तर में कहते हैं कि एक देव, गन्धर्व, यक्ष एवं मरण धर्मा जी नहीं हूँ क्योंकि यह सब आस्रवों से युक्त होने के कारण बध्य होते हैं जबकि 'बुद्ध आश्रवों से रहित होने के कारण अबध्य होते हैं । 3
१. दीघनिकाय भाग ३, अग्गजसुत्त ( ४१२८), पृ० ६६ |
२. "अलं वक्कलि कि ते इमिना पूतिकायेन दिट्ठेन ? यो सो, वक्कलि, धम्मं पसति सोमं पसति, यो मं पस्सति सो धम्मं परसति ।"
- संयुत्तनिकाय भाग २, वक्कलित ( २२|८६१९४), पृ० ३४ । "येसं खो अहं, ब्राह्मण, आसवानं अप्पहीनत्ता गन्धब्बो भवेय्यं क्खो भवेय्यं "मनुस्सो भवेय्यं, ते मे आसवा पहीना उच्छिन्न-मूला
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