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तृतीय अध्याय बुद्धत्व की अवधारणा
१. बुद्ध शब्द का अर्थ
बुद्ध शब्द की उत्पत्ति बुध शब्द में क्त प्रत्यय ( बुध् + क्त) लगाने से हुई है। बुध का अर्थ होता है जानना, प्रत्यक्ष करना, जागना । इस प्रकार बुद्ध शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है-ज्ञात समझा हुआ, प्रत्यक्ष किया हुआ, जागा हुआ, जागरूक देखा हुआ ।" बुद्ध का शाब्दिक अर्थ होता है ज्ञान सम्पन्न (प्रबुद्ध) और जाग्रत ( Enlightened and Awakened) | शाक्यमुनि गौतम या सिद्धार्थ को उनके अनुयायियों ने बुद्ध नाम दिया था । वस्तुतः बुद्ध जाति-वाचक नाम है, व्यक्तिवाचक नाम नहीं । यह विशेषण उनको दिया जाता है, जिन्होंने बोध या ज्ञान प्राप्त कर लिया है । व्यक्ति "बुद्ध" इस विशेषण को संसार के सभी मानवों एवं देवी प्राणियों के बीच अपने सत्य ज्ञान या धर्म के द्वारा अर्जित करता है । 'बुद्ध' – यह नाम माता-पिता, भाई- बान्धवों आदि के द्वारा दिया हुआ नाम नहीं है । खुद्दकनिकाय के अन्तर्गत महानिद्देस में इस सम्बन्ध में एक सूत्र उपलब्ध होता है । 'बुद्ध' - यह नाम, माता-पिता, भाई-बहन, मित्र, संबंधी, श्रमण, ब्राह्मण एवं देवताओं द्वारा दिया हुआ नहीं है, वरन् बोधिमूल में विमोक्ष-पुरस्सर सर्वज्ञता के अधिगम के साथ उपलब्ध एक प्रज्ञप्ति है । यही बात चुल्लनिद्देस में भी कही गई है। वस्तुतः वह पुरुष जिसने चार आर्यसत्यों को जान लिया है, सर्वज्ञता प्राप्त कर ली है, राग, द्वेष, मोह,
१. संस्कृत - हिन्दी कोश (वामन शिवराम आप्टे), पृ० ७१८ । २. पालि - इंग्लिश डिक्शनरी, पृ० १११ ।
३. 'बुद्धो ति नेतं मातरा कतं, न पितरा कतं, न भातरा कतं न भगिनिया कतं, नमित्तामच्चेहि कतं, न वातिसालोहितेहि कतं, न समणब्राह्मणेहि कतं, न देवताहितं । विमोक्खन्तिकमेतं बुद्धानं भगवन्तानं बो धिया मूले सह सम्बज्ञतञ्जणस्स पटिलाभा सच्छिका पञ्ञत्ति यदिदं बुद्धोति तं बुद्धं ।'
- खुद्दकनिकाय भाग ४ (१), महानिदेस ॥१६।:९२, पृ० ३९९ । ४. चुल्लनिद्देस, पृ० २०९ ।
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