Book Title: Tattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tika Tatha Hindi Vivechanamrut Part 07 08
Author(s): Vijaysushilsuri
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti
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श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्रे
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७।२६
(८) मोटन:--अंगुली के टचाका फोड़ना। (६) मल:-अंग-शरीर का मैल उतारना।
(१०) विमासणः-जाने कोई चिन्ता हुई हो इस मुद्रा में गाल इत्यादि पर हाथ रखकर बैठना इत्यादि ।
(११) निद्राः-झोंका खाना, ऊंघना, नींद लेना इत्यादि। .. (१२) वस्त्र संकोचन:- सर्दी इत्यादि के कारण वस्त्र से देह-शरीर संकोचना अर्थात्
ढकना।
उक्त बारह दोष काययोग दुष्प्रणिधान के जानना।
[४] अनादर-सामायिक में उत्साह का प्रभाव, और नियत समय में सामायिक नहीं लेना, इत्यादि।
[५] स्मृत्यनुपस्थापन-एकाग्रता के प्रभाव में मैंने सामायिक की या नहीं की? यह भूल जाना इत्यादि ।
उक्त ये दस दोष मन के, दस दोष वचन के, तथा बारह दोष काया के जानना। ये तीनों (१०-१०-१२) मिलकर बत्तीस दोष सामायिक के जानकर, सामायिक में अवश्य ही त्यजना।
मनोयोग दुष्प्रणिधान इत्यादि सहसा, अनाभोग अर्थात् अनुपयोग इत्यादिक से होता हो तो अतिचार रूप है। जो इरादापूर्वक अर्थात् इरादे से (जानबूझ कर) करने में पाये तो व्रतभंग होता है ।। ७-२८ ।।
* दशमपौषधव्रतस्यातिचाराः * ॥ मूलसूत्रम्अप्रत्यवेक्षिताप्रमार्जितोत्सर्गा-ऽऽदाननिक्षेप-संस्तारोपक्रमणाऽनादर-स्मृत्यनुपस्थापनानि ॥७-२६ ॥
* सुबोधिका टीका * अप्रत्यवेक्षितदृष्ट्या यद् दर्शितम्, तथा चाप्रमाणितेषु स्थानेषु मल-मूत्रादित्यागोप्रत्यवेक्षिताप्रमाजितोत्सर्गः नामकोऽतिचारः । अर्थात् अप्रमाजिते उत्सर्गः अप्रत्यवेक्षिताप्रमार्जितातिचारः ।
अप्रत्यवेक्षिताप्रमाजितस्यादाननिक्षेपी अप्रत्यवेक्षिताप्रमाजितः संस्तारोपक्रमः अनादरः स्मृत्यनुपस्थापनमित्येते पञ्चपौषधोपवासस्यातिचाराः ।