Book Title: Tattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tika Tatha Hindi Vivechanamrut Part 07 08
Author(s): Vijaysushilsuri
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti
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प्रभुवर के पद अति पावन है। भक्तों को सततः लुभावन हैं। पल-पल, क्षण-क्षण, रिम-झिम... (२), बरसाते प्रानन्द के घने हैं ।।
। श्रद्धा से ० ।।
तेरी भक्ति है - शक्ति मेरी , सम्बल तेरा माराधन है। तव वाणी . जन-कल्याणी है, प्रभु - नाम मेरा जीवन - धन है ।
॥श्रद्धा से० ॥
मेरी इच्छा प्रभु-दर्शन की , दिन-रैन सदा तव चिन्तन की। हूँ धन्य प्राज कृतकृत्य प्रभो ! बलिहारी है प्रभु - दर्शन की।
॥श्रद्धा से० ॥
मेरा जीवन-धन तव चरण-कमल तव दर्शन ज्ञान पढ़कर समझा
अर्पित है, अनुरागी मैं ।
चरित्र सुखद , बड़भागी मैं ।।
॥ श्रद्धा से० ।।
[६]
मेरा मानस तव रंग राचा , तेरा प्रभु नाम , सदाः सांचा । 'सुशील' निरत जिनगुण-गुजन , जिससे जगमग हो अन्तर मन ।।
॥ श्रद्धा से० ॥