Book Title: Tattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tika Tatha Hindi Vivechanamrut Part 07 08
Author(s): Vijaysushilsuri
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti
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nunu
कर
सुख
कर्मजाल,
श्राज
श्रज्ञात
है
निश्चिन्त
पार्श्व
"
मिटेगा ।
नहीं प्रभु
को
"
हर पल की खबर
है ।
प्रभु पार्श्व का मन्दिर है ये |
पाप
पार्श्व
-
( १ )
[ ३ ] के
साज
प्रभु
कर
खाली
बन्दे ! प्रभु पार्श्व का
हे जिनवर !
विनती
भव - भव
ये
[ ४ ]
की
अपना
न
हो
में
गठरी
जो,
उतार ।
जा,
उद्धार ।
गया ,
है ।
मन्दिर है ये |
दुःखभञ्जन,
सुनो
रम
* हे दुःखभञ्जन वामानन्दन
181
[१]
तो
सवाली
वो दर
"
गुणगान सजेगा ।
पापपुज
मेरी
से
[ २ ]
के भाग्य
दीन-दुःखी सन्तों के निशदिन तुम
जिनवर !
विनती
भव भव
वामानन्दन
सुनो
तुम से मेरी
पुकार । प्रभुवर ।
निस्तार ॥
विधाता
"
त्राता ।
पुकार,
प्रभुवर । निस्तार ||
గదగద