Book Title: Tattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tika Tatha Hindi Vivechanamrut Part 07 08
Author(s): Vijaysushilsuri
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti

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Page 266
________________ अशेष - क्लेश- हन्तारं, वीतरागं जिनेश्वरम् । स्मारं स्मारं लिखन् सूरिः, सुशीलः शान्तिमाश्रयेत् ॥ ५१ ॥ * अर्थ-संसार के समस्त कष्टों का हरण करने वाले वीतराग जिनेश्वर का पुनःपुनः स्मरण कर इस स्तोत्र को लिखते हुए रचयिता 'सुशीलसूरि' शान्ति को प्राप्त करे ।। ५१ ।। इति श्रीमन्मृत्युञ्जयमहोत्सवे सभक्तिपठनीयो महामंगलप्रदो 'मृत्युञ्जयस्तोत्रपाठः' शासनसम्राट् परमपूज्याचार्यमहाराजाधिराज श्रीमद् - विजयनेमि-लावण्य-दक्षसूरीश्वराणां सुप्रसिद्ध-पट्टधराचार्यश्रीमद्विजयसुशीलसूरीश्वरेण विरचितः, सम्पूर्णम् ॥ इति श्रीमन् 'मृत्युञ्जय महोत्सव' पर सभक्ति पढ़ने योग्य महामंगलकारी मृत्युञ्जयस्तोत्र पाठ शासनसम्राट् परमपूज्य प्राचार्य महाराजाधिराज श्रीमद्विजय नेमि-लावण्य-दक्षसूरीश्वरजी महाराजश्री के सुप्रसिद्ध पट्टधराचार्य श्रीमद् विजय सुशीलसूरीश्वरजी महाराज द्वारा विरचित सम्पूर्ण हुआ।

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