Book Title: Tattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tika Tatha Hindi Vivechanamrut Part 07 08
Author(s): Vijaysushilsuri
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti
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नहीं अन्त तुम्हारी महिमा का , मैं प्रज्ञानी क्या गान करू , तेरी इक-इक गुण गरिमा का , मैं बार - बार बखान करूं। है 'सुशील' चरण सेवक तेरा , स्वीकार करो वन्दन मेरा ।।
हे पार्श्व प्रभो! हे सुखदाता , स्वीकार करो वन्दन मेरा । तव चरित पतित - पावन जग में , मेटो भव बन्धन का फेरा ।।
జయదురు
हे नागेश्वर ! जनहितकारी
ఉయదయ
[१] हे नागेश्वर ! जनहितकारी , हे पार्श्वप्रभो! मंगलकारी । मैं अज्ञानी गतिहीन दीन , तव चरणों में नित बलिहारी ॥
[ २ ] शास्त्रों में यशगाथा तेरी , ना तुझ सा प्रभयंकर दानी । तव चरण-कमल वन्दन मेरा , चन्दन से धन्य हुए अगणित प्राणी ॥ हे लोकत्रय में सुन्दरतम ! तव चरणों में नित बलिहारी । हे नागेश्वर ! जनहितकारी , हे पार्श्वप्रभो! मंगलकारी ।।