Book Title: Tattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tika Tatha Hindi Vivechanamrut Part 07 08
Author(s): Vijaysushilsuri
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti
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अर्हम् मनवांछित
( ५ )
[ ४ ]
बने,
दुर्लभ भी सब सुलभ भवसागर को तिर जाये
'सुशील' सदा सुखधाम जगत् में
2
सुकृत
सुगन्ध
बसेरा
वह 'जैनधर्म' है
वह
'जैनधर्म'
हाथ
भक्ति
नित्य जपे तो
फल
पाये
* जय हो पार्श्वजिनेश्वर तेरी *
[१]
जय हो पार्श्व जिनेश्वर
वन्दन
मनभावन
मम
卐
नित
तेरी नजरों
तेरी
है । भक्ति,
जीवन का आधार है ।।
हो.
बारम्बार
तेरी
[ २ ]
नूतन वात्सल्य
से
जोड़कर शीश
करू तेरी
मेरा
मेरा ॥
पार्श्वजिनेश्वर
बारम्बार
बरसता "
अनुपम
नवाऊँ
हरदम ।
जिसकी तुम पतवार सम्भालो,
उसका
बेड़ा पार
जय
वन्दन
•
तेरी
"
1
"
है ।