Book Title: Tattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tika Tatha Hindi Vivechanamrut Part 07 08
Author(s): Vijaysushilsuri
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti
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है श्रीतत्त्वार्थाधिगमसूत्र के सप्तम अध्याय का ?
* हिन्दी पद्यानुवाद *
मूलसूत्रकार-पूर्वधर महर्षि पूज्यवाचकप्रवर श्रीउमास्वातिजी महाराज हिन्दी पद्यानुवादक-शास्त्रविशारद - साहित्यरत्न - कविभूषण-पूज्याचार्य
श्रीमद्विजय सुशील सूरीश्वर जी महाराज
* पंचवत और उनकी भावना * 卐 मूलसूत्रम्
हिंसाऽनृतस्तेयाब्रह्मपरिग्रहेभ्योविरतिव॑तम् ॥ ७-१॥
देशसर्वतोऽणुमहती ॥७-२॥ * हिन्दी पद्यानुवाद
हिंसा असत्य चोरी मैथुन, परिग्रह से अटकना। व्रत जानना इम पंचभेदे, पापकृति से विरमना ।। देश से जो अटकना वह, अणुव्रत जिनेन्द्र ने कहा ।
सर्व से जो अटकना वह, महाव्रत भी शास्त्रे भरणा ॥ १ ॥ 卐 मूलसूत्रम्
तत्स्थै र्यार्थ भावनाः पंच पंच ॥ ७-३ ॥ हिंसादिष्विहामुत्र चापायावद्यदर्शनम् ॥ ७-४ ॥ दुःखमेव वा ॥ ७-५॥ मैत्री-प्रमोद-कारुण्य-माध्यस्थ्यानिसत्त्व-गुणाधिक-क्लिश्यमाना-विनेयेषु ॥ ७-६ ॥
जगत्काय-स्वभावौ च संवेग-वैराग्यार्थम् ॥ ७-७ ॥ * हिन्दी पद्यानुवाद
उन-उन व्रतों की स्थैर्यता में, पंच-पंच भावना । यों भावनाएँ पूर्ण होती, पंचविंश संख्यता ।। हिंसादि दोष यदि न अटके, जीव इहभव परभवे । अनिष्टता आपत्तियों के, दुःख सारे अनुभवे ।। २ ।।