Book Title: Tattvarthadhigam Sutraam Tasyopari Subodhika Tika Tatha Hindi Vivechanamrut Part 07 08
Author(s): Vijaysushilsuri
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti
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5 मूलसूत्रम्
सदसद्वेद्ये ।। ८-९ ।।
श्री तत्त्वार्थाधिगमसूत्रे
* भ्रष्ट कर्मप्रकृति का वर्णन *
मत्यादीनाम् ॥ ८-७॥
चक्षुरचक्षुरवधिकेवलानां निद्रा निद्रानिद्रा प्रचलाप्रचलाप्रचला - स्त्यानद्ध
वेदनीयानि च ॥ ८-८ ॥
* हिन्दी पद्यानुवाद
[ हिन्दी पद्यानुवाद
-
दर्शन - चारित्रमोहनीय कषाय- नोकषायवेदनीयाख्यास्त्रि - द्वि-षोडश - नवभेदाः सम्यक्त्व - मिथ्यात्व तदुभयानि कषाय- नोकषायौ, अनन्तानुबन्ध्यप्रत्याख्यान- प्रत्याख्यानावरण-संज्वलन - विकल्पाश्चैकशः क्रोध- मान-माया-लोभ-हास्य रत्यरति शोक-भय-जुगुप्साः स्त्री-पु-नपुंसकवेदाः ॥ ८-१० ॥
नारक-तैर्यग्योन - मानुष- देवानि ॥ ८-११ ॥
मतिज्ञानावरण
ज्ञानावरणकर्म के हैं, पाँच भेद वरित किये । नाम, प्रथम उसका भेद ये ।। अवधिज्ञानावरण है । मिलके पंचावरण हैं ।। ५ ॥
तदनुश्रुतज्ञानावरण,
कारण से अज्ञान है ।
मनः केवलज्ञान दो ये, इनमें प्रथम तीन के, चक्षुदर्शन चक्षुदर्शन, दो भेद क्रमशः ही अवधि तीसरा तुरीय केवल, चार दर्शन हैं हुए । ये आवरण चारों कहे हैं, पाँच-निद्राभेद के ॥ ६ ॥
हैं ॥
निद्रा सम्बन्धी प्रथम निद्रा, निद्रानिद्रा दूसरा । प्रचला तृतीय भेद होता, प्रचला प्रचला है खरा ॥ स्त्यानगृद्धि भेद पंचम, नव संख्या में गणना करो । कर्म दूसरा भेद नव से, सुनि सत्त्वर परिहरो ।। ७ ।।