________________
जिनहितसूरि के एक शिष्य कल्याणराज हुए जिनके शिष्य चारित्रवर्धन द्वारा रचित कई कृतियां मिलती हैं। इनका विवरण इस प्रकार है।
१. रघुवंश-शिष्यहितैषिणीवृत्ति २. कुमारसंभव-शिष्यहितैषिणीवृत्ति (रचनाकाल वि०सं० १४९२) ३. शिशुपालवध-वृत्ति ४. नैषधवृत्ति (रचनाकाल वि०सं० १५११) ५. मेघदूतवृत्ति ६. राघवपाण्डवीयवृत्ति ७. सिन्दूरप्रकरवृत्ति (रचनाकाल वि०सं० १५१५) ८. भावारिवारणस्तोत्रवृत्ति ९. कल्याणमंदिरस्तोत्रवृत्ति
रघुवंशशिष्यहितैषिणीवृत्ति की प्रशस्ति' में इन्होंने अपनी गुरु-परम्परा का विस्तृत विवरण दिया है, जो इस प्रकार है :
जिनवल्लभसूरि
जिनदत्तसूरि
जिनचन्द्रसूरि
जिनपतिसूरि
जिनेश्वरसूरि जिनप्रबोधसूरि
जिनसिंहसूरि (खरतरगच्छ मुख्यशाखा) (लघुशाखा के प्रवर्तक)
जिनप्रभसूरि
जिनदेवसूरि
जिनमेरुसूरि
जिनचन्द्रसूरि
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org