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पार्श्वनाथ विद्यापीठ द्वारा आयोजित निबन्ध प्रतियोगिता
१९९९-2000 का परिणाम घोषित जैनधर्म एक मानवतावादी धर्म है। उसकी अहिंसा और अपरिग्रहवृत्ति ने प्राणिमात्र के कल्याण को ही अपना अभीष्ट माना है। आज के वर्तमान परिवेश में जबकि भाषा, जाति और सम्प्रदाय के आधार पर कटुता पैदा कर अलगाववादी ताकतें व्यक्ति और व्यक्ति के बीच, समाज और धर्म के बीच दीवार खड़ी करने पर आमादा हैं तथा सुविधावादी संस्कृति से पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है, जैनधर्म की प्रासंगिकता और भी बढ़ गयी है। इसकी चारित्रिक दृढ़ता और समन्वयवादिता २१वीं शती के लिए एक वरदान सिद्ध हो सकती है।
इसी पृष्ठभूमि के साथ लाला हरजसराय जैन पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट के सहयोग से पार्श्वनाथ विद्यापीठ द्वारा विगत वर्ष १९९९ में नयी पीढ़ी के बौद्धिक विकास एवं जैनधर्म के प्रति उनकी सतत् जागरूकता बनाये रखने के उद्देश्य से अखिल भारतीय स्तर पर एक निबन्ध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में आयु के आधार पर प्रतियोगियों को दो वर्गों में बांटकर उनसे निबन्ध आमन्त्रित किये गये। प्रथम वर्ग 'अ' में १८ वर्ष से कम उम्र के प्रतियोगी तथा द्वितीय वर्ग 'ब' में १८ वर्ष एवं उससे अधिक उम्र के प्रतियोगी रखे गये। दोनों वर्गों के प्रतियोगियों के लिए समान रूप से तीन पुरस्कार रखे गये- प्रथम पुरस्कार रु० २५००/-, द्वितीय पुरस्कार रु० १५००/- एवं तृतीय पुरस्कार रु. १०००/-1
प्रतियोगिता का विज्ञापन देश की सभी प्रमुख जैन पत्र-पत्रिकाओं में इस आशय के साथ दिया गया कि इसमें अधिक से अधिक प्रतियोगी भाग ले सकें। पार्श्वनाथ विद्यापीठ से प्रकाशित इस शोध पत्रिका 'श्रमण' के दो अंकों में इस प्रतियोगिता के दो अलग-अलग विज्ञापन हिन्दी और अंग्रेजी में दिये गये। इस प्रथम प्रयास का परिणाम अच्छा रहा और देश के कोने-कोने (उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, गुजरात, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र) से कुल ३२ प्रतियोगियों ने इस निबन्ध-प्रतियोगिता में भाग लिया। प्रथम वर्ग 'अ' (A) में कुल ८ (४ पुरुष और ४ महिला) तथा वर्ग 'ब' (B) में कुल २४ (१२ पुरुष और १२ महिला) प्रतियोगियों ने भाग लिया। सभी प्राप्त निबन्धों को उनके वर्ग के अनुसार एक विशेष कोड नं० दिये गये और उन्हें निर्णय हेतु जैनधर्म-दर्शन के तीन सुविख्यात विद्वानों- प्रो० सागरमल जैन, शाजापुर, प्रो० सुदर्शनलाल जैन, वाराणसी और डॉ० धर्मचन्द जैन, जोधपुर के पास भेजा गया। विद्वान् निर्णायकों से जो परिणाम प्राप्त हुए उनके आधार पर अधोलिखित छह विजेताओं
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