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जैन-जगत्
प्राकृत भाषा एवं साहित्य : विकास की सम्भावनाएँ नामक संगोष्ठी सम्पन्न
वाराणसी २६ दिसम्बर : जैन विद्या के सुप्रसिद्ध विद्वान्, सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी में जैन दर्शन विभाग के अध्यक्ष डॉ० फूलचन्द जी जैन 'प्रेमी' के संयोजकत्व में शारदानगर, वाराणसी स्थित उनकी भव्य कोठी ‘अनेकान्त भवनम्' में दिनांक २६ दिसम्बर १९९९ को इक्कीसवीं शती में प्राकृत भाषा और साहित्य विकास की सम्भावनायें नामक एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। प्राकृत भाषा के विख्यात् विद्वान् प्रो० भोलाशंकर व्यास ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इस संगोष्ठी में प्रो० लक्ष्मीनारायण तिवारी, प्रो० रमेशचन्द्र शर्मा, डॉ० कमलेशकुमार जैन, श्री शरद कुमार साधक, डॉ० हृदय रंजन शर्मा, डॉ० वशिष्ठ नारायण सिन्हा आदि विभिन्न विद्वान् और बड़ी संख्या में प्राकृत भाषा प्रेमी सज्जन उपस्थित थे।
पार्श्वनाथ जन्मकल्याणक महोत्सव सम्पन्न हरिद्वार ३ जनवरी : भगवान पार्श्वनाथ के जन्म कल्याणक के शुभ अवसर पर चिन्तामणि पार्श्वनाथ तीर्थ, हरिद्वार में दिनांक ३१ दिसम्बर से २ जनवरी तक अभिषेक, स्नात्रपूजन, पंचकल्याणकपूजन, संध्याभक्ति आदि भव्य कार्यक्रम पूज्य मनिराज श्रीजम्बूविजय जी की पावन निश्रा में सानन्द सम्पन्न हुआ। ज्ञातव्य है कि इसी तीर्थ पर श्रीजम्बूविजय जी महाराज द्वारा ३ दिसम्बर को कु० ऊषा की भागवती दीक्षा भी सम्पत्र की गयी।
त्रिदिवसीय राष्ट्रीय सङ्गोष्ठी सम्पन्न जयपुर २४ जनवरी : पं० चैनसुखदास न्यायतीर्थ जन्म शताब्दी समारोह के अन्तर्गत त्रिदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी दिनांक २१.१.२००० से २४.१.२००० तक जयुपर में आचार्यश्री वर्धमानसागर जी महाराज के सानिध्य में सम्पन्न हुई। इस संगोष्ठी में कुल छह सत्र हुए। इनमें विभिन्न वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त करने के साथ-साथ अपने शोधलेखों का भी वाचन किया। पार्श्वनाथ विद्यापीठ के निदेशक प्रो० भागचन्द्र जैन 'भास्कर' भी इस संगोष्ठी में आमन्त्रित थे।
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