________________
१९३
कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर का पुरस्कार समर्पण समारोह .
इन्दौर २९ मार्च : देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इन्दौर द्वारा मान्य शोध केन्द्र कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर का वार्षिक पुरस्कार समर्पण समारोह विगत २९ मार्च को ज्ञानपीठ के परिसर में ऋषभदेव जयन्ती के अवसर पर उपा० मुनिश्री जिनानन्द सागर जी की पावन निश्रा में सम्पन्न हुआ। इस समारोह में विक्रम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो० आर०आर० नांदगांवकर, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इन्दौर खण्डपीठ के न्यायमूर्ति श्री एन०के०जैन, प्रो० ए०ए० अब्बासी, श्री बाबूलाल जी पाटोदी, श्री हीरालाल झांझरी, पूर्व राजदूत डॉ० एन०पी०जैन, सत्श्रुत प्रभावना ट्रस्ट, भावनगर के अध्यक्ष श्री हीरालाल जैन आदि विशिष्ट व्यक्ति उपस्थित थे।
वर्ष १९९८ में अर्हत्वचन में प्रकाशित सर्वश्रेष्ठ आलेखों पर डॉ० अशोक मिश्र एवं श्री दीपक जाधव को अर्हत्वचन-९८ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसी प्रकार रामकथा संग्रहालय, अयोध्या के पूर्व निदेशक डॉ० शैलेन्द्र कुमार रस्तोगी को उनकी कृति जैनधर्म कला प्राण भगवान् ऋषभदेव पर ज्ञानोदय पुरस्कार प्रदान किया गया। इसी क्रम में कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ-९८ पुरस्कार बिरला प्रौद्योगिक संस्थान, रांची के पूर्व प्राध्यापक प्रो० राधाचरण गुप्त को उनकी कृति जैन गणित पर प्रदान किया गया। इस अवसर पर प्रकाशित जैन साहित्य पाण्डुलिपि सूचीकरण परियोजना के अन्तर्गत अब तक कॉम्प्यूटर में फीड किये जा चुके १४००० प्रकाशित पुस्तकों एवं ८००० पाण्डुलिपियों के विवरणों के सुसम्पादित और संशोधित प्रिन्टआउट्स का भी विमोचन किया गया। भगवान् महावीर की २६००वीं जयन्ती पर वर्षव्यापी कार्यक्रमों का भव्य शुभारम्भ
भगवान् महावीर की २६००वीं जयन्ती के शुभ अवसर पर दिनांक १६ अप्रैल को कलकत्ता स्थित नेताजी इनडोर स्टेडियम में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल श्री वीरेन शाह की अध्यक्षता में एक वर्षपर्यन्त चलने वाले भव्य कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। केन्द्रीय संचार मंत्री श्री तपन सिकदर इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। समारोह समिति के मन्त्री श्री सरदारमल जी कांकरिया ने मान्य अतिथियों एवं सभा में उपस्थित जनसमूह का भावभीना स्वागत किया। इस अवसर पर सभी गणमान्य अतिथियों को समिति की ओर से नवकारमन्त्र उत्कीर्ण स्वर्णमण्डित स्मृतिचिन्ह भी प्रदान किया गया।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org