Book Title: Sramana 2000 01
Author(s): Shivprasad
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 185
________________ १७६ विद्यापीठ में प्रो० राजमत वोरा का स्वागत पार्श्वनाथ विद्यापीठ में दिनांक १० मार्च को मराठावाड़ा विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो० राजमल जी वोरा का आगमन हआ। विद्यापीठ के निदेशक प्रो० भागचन्द्र जैन ने उनका हार्दिक स्वागत किया। तदनन्तर डॉ० वोरा ने भारतीय भाषाओं के विकास में प्राकृत का योगदान विषय पर अपना व्याख्यान दिया। इस अवसर पर उन्हें विद्यापीठ के कतिपय नवीन प्रकाशन भी भेंट किये गये। १० मार्च को प्रातःकाल साध्वी श्री मंगलप्रभा जी अपने संघ के साथ विद्यापीठ में संस्थान के निदेशक के आमन्त्रण पर पधारी। सभी ने उनका हार्दिक स्वागत किया। संस्कृत सम्भाषण शिविर पार्श्वनाथ विद्यापीठ में १२ मार्च से ही संस्कृत भारती की ओर से छह दिवसीय संस्कृत सम्भाषण शिविर का आयोजन किया गया जिसमें साध्वी मंगलप्रभा जी ठाणा ६, उनके साथ रहने वाली वैरागन बहनों तथा विद्यापीठ में निवास करने वाले शोधच्छात्रों ने भाग लिया। शिविर के समापन के अवसर पर १७ मार्च को आयोजित संक्षिप्त कार्यक्रम में प्रो० सुदर्शनलाल जैन, डॉ० कमलेशकुमार जैन, प्रो० भागचन्द्र जैन 'भास्कर' आदि विद्वान् उपस्थित थे। आप सभी ने संस्कृत भाषा में ही अपने भाषण दिये। इस शिविर में भाग लेने वाले प्रत्येक अभ्यर्थी ने भी कार्यशाला के अपने अनुभवों की संस्कृत भाषा में ही चर्चा की। इस अवसर पर निदेशक महोदय ने कार्यशाला के संचालक श्री विजयकरण जी को शाल, श्रीफल एवं संस्थान के कतिपय प्रकाशन भेंट कर उनका सम्मान किया। विद्यापीठ में १७ मार्च को ही दोपहर में होलीमिलन समारोह का भी आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्त्व विभाग के प्रो० माहेश्वरी प्रसाद ने की। इस समारोह में विद्यापीठ के सभी कर्मचारियों ने एक दूसरे को अबीर-गुलाब लगाकर होली की शुभकामनायें दी। समारोह के अन्त में अल्पाहार का भी सुन्दर कार्यक्रम रहा। पच्चीस मार्च को साध्वी मंगलप्रभा जी ठाणा ६ ने चातुर्मासार्थ चन्द्रपुर (महाराष्ट्र) की ओर विहार किया। आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी के पावन सानिध्य में २७-३० मार्च को चुरु (राजस्थान) में “मनोऽनुशासन" पर ४ दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें विद्यापीठ के निदेशक प्रो० भागचन्द्र जैन 'भास्कर' ने मनोऽनुशासन में प्रतिबिम्बित जैन-बौद्ध साधना नामक विषय पर अपना शोधपत्र प्रस्तुत किया और एक सत्र की अध्यक्षता Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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