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संगोष्ठी में विराजित साध्वीगण
श्री हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध कलामर्मज्ञ प्रो० रमेशचन्द्र शर्मा ने की। इस अवसर पर अमेरिका से पधारे श्री सुलेखचन्द जैन ने विद्यापीठ को एक लाख रुपये प्रदान करने की घोषणा की। अपने उद्बोधन में माननीय वित्तमन्त्री जी, जो स्थानीय विधायक भी हैं, ने भी वर्ष २०००-२००१ में विधायक निधि से विद्यापीठ को एक लाख रुपये देने का वचन दिया। उन्होंने संस्थान की गतिविधियों, शोधकार्य, प्रकाशन, संग्रहालय, पुस्तकालय आदि की मुक्तकण्ठ से प्रशंसा की। इस अवसर पर प्रो० भागचन्द्र जी द्वारा लिखित पुस्तक भारतीय संस्कृति में जैनधर्म का योगदान का विमोचन भी सम्पन्न हुआ। तेरापंथी जैन समाज की साध्वी सोमलता जी ठाणा ५ और स्थानकवासी जैन समाज की साध्वी मंगलप्रभा जी ठाणा ३ एवं तीन वैरागन बहनों की उपस्थिति विशेष उल्लेखनीय रही। विद्यापीठ की प्रबन्ध समिति की ओर से श्री इन्द्रभूति जी बरड़ एवं संस्थान के मार्गदर्शक प्रो० सागरमल जैन ने भी इस अवसर पर उपस्थित रहकर कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई।
संगोष्ठी के द्वितीय सत्र में डॉ० नन्दलाल जैन, रीवा; डॉ० रतनचन्द जैन, भोपाल, डॉ० के०एम० त्रिपाठी, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय आदि के शोधपत्रों का वाचन हुआ। इस सत्र की अध्यक्षता कला - इतिहास विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के अध्यक्ष डॉ० दीनबन्धु पाण्डेय ने की।
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