________________
१७२
संस्थान के निदेशक जम्मू विश्वविद्यालय में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा २-३ फरवरी २००० को आयोजित संगोष्ठी में भाग लेने पहुंचे और वहां अनात्मवाद ऐज डिपेक्टेड इन मिलिन्दप्रश्न नामक अपने शोधपत्र का वाचन किया और एक सत्र की अध्यक्षता भी की। ५ फरवरी को संस्थान में पूर्वाञ्चल विश्वविद्यालय द्वारा सम्बद्धता हेतु आयी हुई टीम के सदस्यों ने यहां की गतिविधियों का अवलोकन कर प्रसन्नता व्यक्त की और बहुत अच्छी आख्या प्रस्तुत की।
७ फरवरी को संस्थान के निदेशक अपने सहयोगियों डॉ० अशोक कुमार सिंह एवं डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय के साथ राजर्षि पुरुषोत्तम दास टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय, इलाहाबाद के कुलपति से मिले और उनसे संस्थान में अपना एक केन्द्र खोलने हेतु आवेदन-पत्र दिया जिसके प्रत्युत्तर में कुलपति महोदय ने बतलाया कि विश्वविद्यालय के नियमानुसार इसका केन्द्र किसी निजी संस्थान में नहीं खोला जा सकता। उन्होंने कहा कि यद्यपि निजी संस्थान हर प्रकार से सार्वजनिक संस्थाओं से बेहतर हैं; किन्तु नियमों से बंधे होने के कारण वे पार्श्वनाथ विद्यापीठ में मुक्त विश्वविद्यालय का केन्द्र खोलने की अनुमति देने में असमर्थ हैं।
९ फरवरी को सुप्रसिद्ध चिन्तक श्री क्रान्ति कुमार जी के सारनाथ स्थित आवास पर आयोजित संगोष्ठी में संस्थान के निदेशक प्रो० भास्कर ने श्रमण संस्कृति में जाति व्यवस्था पर अपना गम्भीर व्याख्यान प्रस्तुत किया। इसी दिन पर्यटन विभाग, उत्तर प्रदेश के सारनाथ स्थित कार्यालय में उन्होंने 'योग पैकेज' पर पार्श्वनाथ विद्यापीठ की
ओर से एक कार्यक्रम स्वीकार करने के लिये आवेदन कर संस्थान को वाराणसी के पर्यटन मानचित्र पर संयोजित करने का अनुरोध किया।
१४ फरवरी को निदेशक महोदय नागपुर विश्वविद्यालय के प्राकृत-पालि पाठ्यक्रम की बैठक में भाग लेने हेतु नागपुर गये। तदनन्तर २४ फरवरी को संस्थान के निदेशक प्रो० भागचन्द्र जी 'भास्कर' और प्रवक्ता डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय विद्यापीठ की प्रबन्ध समिति के निर्देश पर फण्ड संकलन हेतु इलाहाबाद और इन्दौर गये। कतिपय अपरिहार्य कारणों से प्रबन्ध समिति के निर्देश पर वहां से आगे न जा सके और वापस वाराणसी आ गये।
फरवरी माह में मासिक संगोष्ठी के अन्तर्गत विद्यापीठ के वरिष्ठ प्रवक्ता डॉ० अशोक कुमार सिंह ने दिनांक ११ फरवरी को जैन अभिनन्दन एवं स्मृतिग्रन्थ : एक सर्वेक्षण नामक विषय पर अपने महत्त्वपूर्ण शोध आलेख का वाचन किया और विभिन्न नई सूचनायें प्रदान की।
__फरवरी माह के द्वितीय सप्ताह में विद्यापीठ के प्रवक्ता डॉ० शिवप्रसाद अपने शोधकार्य के सम्बन्ध में प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर गये और वहां वे एक सप्ताह
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org